Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Election 2023) से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट में फेरबदल किया गया है. इसके पीछे कांग्रेस (Congress) की क्या रणनीति है? ऐसा हुआ क्या जो चुनाव के महज चार महीने पहले एक सीनियर नेता और मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम (Premsay Singh Tekam) को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया और पूर्व पीसीसी चीफ (Mohan markam) को 24 घंटे के भीतर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. भूपेश कैबिनेट में इस बड़े बदलाव के पीछे की इनसाइट स्टोरी जानिए।
कहानी की शुरुआत दिल्ली में लगातार राज्यवार हो रही कांग्रेस की मीटिंग से शुरू हुई. चुनावी राज्यों की रणनीति के नाम पर कांग्रेस हाईकमान राज्यों के बड़े नेताओं से बात कर रहे थे. इस कड़ी में दिल्ली में 29 जून को छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में बैठक हुई. बैठक खत्म होने के बाद 4 साल से नाराज चल रहे टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बना दिया गया है. इसके बाद से डिप्टी सीएम का कद सत्ता में बढ़ता दिखाई दे रहा है. सीएम भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव के बीच तालमेल ठीक होने का संदेश देने की कई कोशिश की गई.
सिंहदेव को डिप्टी बनाने के बाद शुरू हुआ फेरबदल
12 जुलाई को CM भूपेश कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट बैठक के ठीक बाद विधायक दल की भी बैठक हुई. इस बैठक के बाद एक फैसला हुआ. इस बार छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर आलाकमान ने नई नियुक्ति की थी. लोकसभा सांसद दीपक बैज को पार्टी ने छत्तीसगढ़ की कमान सौंप दी. मोहन मरकाम जो लगातार 4 साल तक संगठन की कमान संभाल रहे थे. उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया तो माना गया कि टीएस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदलने का रास्ता साफ हुआ है. लेकिन ये पूरी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी. गुरुवार को स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने दिल का दर्द बयां करते हुए इस्तीफा दे दिया.
मोहन मरकाम को भूपेश कैबिनेट में कैसे मिली एंट्री?
फिर गुरुवार शाम तक ये तय हो गया था कि मोहन मरकाम को पार्टी ने संगठन जिम्मेदारी से मुक्त कर सत्ता में जगह दे दी है. CM भूपेश बघेल ने मोहन मरकाम को मंत्री बनाने की घोषणा कर दी. इसके बाद शुक्रवार को राजभवन में मोहन मरकाम ने भूपेश कैबिनेट में एंट्री लेते हुए मंत्री पद की शपथ ली. हालांकि अबतक ये तय नहीं हुआ है कि मोहन मरकाम को कौन कौन सा विभाग मिल रहा है. लेकिन कयास लगाए जा रहे है कि मोहन मरकाम को स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है. इसके अलावा अन्य मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल की संभावना बढ़ गई है.
फेरबदल से क्या कांग्रेस मजबूत होगी या चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा?
कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में फिर सरकार रिपीट करना चाहती है. लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव के समय से उठे पार्टी के भीतर गुटबाजी की हवा चली थी. इसको शांत करने की कोशिश साढ़े चार साल की जा रही थी लेकिन सत्ता और संगठन के बीच अनबन की खबरें आती रहीं. इसलिए कांग्रेस हाईकमान ने तय किया की चुनाव जीतने के लिए सब ठीक करना होगा. यानी रूठे और नाराज नेताओं को मनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने ये फैसला लिया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2023 विधानसभा चुनाव जितने के लिए कांग्रेस पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी है. लेकिन ये कहना भी अभी मुश्किल की नेताओं की नाराजगी दूर हो गई. एक्शन का रिएक्शन होता है.
मरकाम को केवल कंपनसेशन दिया गया है’
पॉलिटिकल डेस्क का आकलन है कि जैसे जैसे समय बीतेगा सब दिखने लगेगा. मोहन मरकाम संगठन के रूप में जितना समय रहे उपचुनाव हुआ सफलता मिली है. इस लिए उनका कंपनसेशन दिया गया है. वहीं इस फेरबदल से कार्यों में कुछ खास बदलाव नहीं होगा क्योंकि कुछ महीने तो स्वागत में निकल जाएंगे. उसके बाद चुनाव ही होने वाला है. युवा नेता जो अबतक बस्तर की बात करते थे वो इतने कम समय कार्यकर्ताओं को इंट्रोडक्शन तक नहीं दे पाएंगे. कुल मिलाकर रूठे नेताओं को मनाने की कोशिश है.क्योंकि सत्ता में है वो सत्ता गंवाना नहीं चाहते. सत्ता गई तो दोबारा मिलेगी ये कह नहीं सकते है.