बिहार के लिए बहुपयोगी और प्रधानमंत्री पैकेज में शामिल पटना रिंग रोड को बनाने की प्रक्रिया में अब पहले से और तेज होगी। कारण ये कि केंद्र सरकार ने धनराशि देने की बात कही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय(NHAI) जमीन अधिग्रहण मद में खर्च होने वाली राशि भी उपलब्ध कराएगा।
आउटर रिंग रोड (रामनगर-कच्ची दरगाह सेक्शन) के लिए 14 किमी हिस्से की सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण किया जाना है। इसपर आठ सौ से एक हजार करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है जिसे केंद्र सरकार वहन करेगी। बिहार पथ परिवहन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि केंद्र सरकार जमीन अधिग्रहण का 800 से एक हजार करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है। जमीन की किसानों और दूसरे एजेंसियों से खरीद होनी है। अधिकारी के मुताबिक, जिन जमीनों की खरीद होनी है वो ग्रीनफिल्ड एरिया है। ऐसे में किसानों को जमीन अधिग्रहण एक्ट के तहत विश्वास में लेना जरूरी है।
पटना आउटर रिंग रोड मामले में केंद्र सरकार का यह बड़ा फैसला माना जा रहा है। 130 किमी रिंग रोड का ये प्रोजेक्ट करीब 15000 करोड़ का है। इसके खर्च को लेकर पथ निर्माण विभाग और केंद्र सरकार के बीच पेच फंसा था। तय प्रावधान के तहत पटना रिंग रोड के जमीन अधिग्रहण मद की राशि राज्य सरकार को खर्च करनी थी। वहीं पथ निर्माण विभाग का कहना था कि यह प्रोजेक्ट भारतमाला प्रोजेक्ट का हिस्सा है, इसलिए NHAI को ही इसके लिए जमीन अधिग्रहण की राशि देनी चाहिए।
आखिरकार कई स्तर पर हुई चर्चा के बाद इसपर सहमति बन गयी कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ही 14 किमी लंबे इस स्ट्रेच के लिए जमीन अधिग्रहण की राशि भी उपलब्ध कराएगा। खर्च से जुड़ा यह पेच सुलझ जाने के बाद अब रिंग रोड के हिस्से का काम भी आगे बढ़ेगा। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी प्रक्रिया में है।
करीब 130 किमी की लंबाई में बनने वाली इस सड़क से पटना, वैशाली और सारण जिलों को जोड़ते हुए पटना महानगर के बड़े भूभाग को एक दूसरे से कनेक्टिविटी मिल पायेगी। सड़क कुछ जगहों पर फोर लेन और कुछ जगहों पर सिक्स लेन बनेगी। रिंग रोड बनने के बाद प्रदेश के पश्चिमी या उत्तरी भाग में जाने के लिए वाहनों के शहर में प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। रिंग रोड बन जाने के बाद पटना शहर का विस्तार गंगा नदी के उत्तर और गंडक नदी की दोनों तरफ होने की संभावना भी बढेगी।