Farmers Protest: MSP पर नहीं झुकेगी सरकार, एक सवाल बना केंद्र सरकार के गले की फांस, अगली बैठक 5 दिसंबर को

सरकार और किसान नेताओं के बीच गुरुवार को लगभग 8 घंटे चली बैठक में किसी बात पर सहमति नहीं बन पाई। अब अगली बैठक 5 दिसंबर को होगी। किसान और सरकार अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि MSP को लेकर सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है। सरकार MSP के मुद्दे पर किसानों के आगे छुकने को तैयार नहीं है। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने साफ शब्दों में कह दिया है कि MSP में कोई परिवर्तन नहीं होगा। सूत्रों ने जानकारी दी है कि किसानों से बाचतीत के दौरान वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गृह मंत्री अमित शाह से दो बार फोन पर बात की।

दिल्ली की लगभग सभी सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन का दायरा अब बढ़ता जा रहा है। किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार अपनी बातों पर अड़ी रहती है तो वे देशभर में बंद का एलान कर सकते हैं। आखिर वो कौन सी बात है जो किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मध्य बाधा बन कर सामने आ रही है।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने बैठक में जाने से पहले कहा, किसानों का मन साफ है। हम अपनी मांगों को लेकर एकमत हैं। सवाल एक ही है जो केंद्र सरकार के गले में फंसा है। यूं कहें कि सरकार ने खुद उस सवाल को फंसाया है। यहां बात भरोसे की है। किसान, सरकार से एक ही सवाल पूछते हैं, हम आप पर भरोसा कैसे करें। हमें इसी सवाल का जवाब नहीं मिलता।
अब सरकार कहती है कि कमेटी बना देंगे, MSP को कानूनी प्रावधान में शामिल कर देंगे। किसान अब सरकार पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। किसानों का एक ही सवाल है। हम पूछते हैं कि उस वक्त सरकार को किसानों की याद क्यों नहीं आई, जब ये तीन कानून बनाए जा रहे थे। तब किसी को भरोसे में नहीं लिया। सरकार ने खुल कर अपनी मनमर्जी की। अब दोनों पक्षों के बीच भरोसा कैसे बनेगा। लोग भ्रम की बात फैला रहे हैं, हम कह रहे हैं कि भ्रम किसी को नहीं है, बात केवल विश्चास और भरोसे की है। इस पर केंद्र सरकार खरी नहीं उतरती है।

इससे पहेल खबर आई थी कि किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। बैठक में शामिल किसान नेताओं ने सरकार से साफ-साफ कह दिया है कि स्तिथि हमारे कंट्रोल से बाहर हो चुकी है। अब किसानों को समझाना हमारे हाथ में नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि ये आंदोलन अब सिर्फ किसानों का नहीं रहा ये जन आंदोलन बन चुका है। किसानों ने साफ-साफ कह दिया है कि सरकार को कानून रद्द करना होगा, तभी आंदोलन खत्म होगा।

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