देश के 46% परिवार की आय 15 हजार से भी कम, बिहार में हालात इससे भी बदतर

Bihar Caste Survey Report 2023: एक सर्वे कहता है कि देश में 15 हजार से कम कमाने वाले परिवारों की संख्या 46 फीसदी है, लेकिन बिहार में हालात इससे भी बदतर हैं. बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के एक तिहाई परिवार की आय छह हजार रुपए महीना से भी कम है. जानिए, देश के राज्यों के क्या हैं हालात.

बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट कहती है, राज्य की 34.13 फीसदी लोगों की आय 200 रुपए रोज यानी छह हजार रुपए महीना से भी कम है. 6 से 10 हजार महीना कमाने वालों की संख्या 29.61 फीसदी है. 6000 महीना से कम कमाने वाले परिवारों में 25 फीसदी सवर्ण शामिल हैं.

पहले जातिगत जनगणना और फिर इसकी रिपोर्ट सामने आने के बाद देश में एक बार फिर से बिहार की चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर बिहार ट्रेंड कर रहा है, जबकि कुछ राज्यों को छोड़ दें तो देश के बाकी सभी राज्यों की स्थिति कमोवेश ऐसी ही है. इस पर हाय-तौबा नहीं होनी चाहिए. थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा, यही सच देश भर का है.

भारतीय परिवार की औसत आय कितनी?

पहले जातिगत जनगणना और फिर इसकी रिपोर्ट सामने आने के बाद देश में एक बार फिर से बिहार की चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर बिहार ट्रेंड कर रहा है, जबकि कुछ राज्यों को छोड़ दें तो देश के बाकी सभी राज्यों की स्थिति कमोवेश ऐसी ही है. इस पर हाय-तौबा नहीं होनी चाहिए. थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा, यही सच देश भर का है.

भारतीय परिवार की औसत आय कितनी?

पिछले साल आया एक सर्वे भी बिहार के आंकड़ों को पुख्ता करता है. रिपोर्ट कहती है कि भारतीय परिवार की औसत आमदनी 23 हजार रुपया महीना है. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 हजार से कम कमाने वाले परिवारों की संख्या 46 फीसदी है. 15-35 हजार कमाने वाले परिवारों की संख्या 40 फीसदी है. 35-50 हजार महीना कमाने वाले देश में सिर्फ आठ फीसदी परिवार हैं. यानी 94 फीसदी परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 15-50 हजार रुपए महीना ही है.

इस सर्वे के मुताबिक, आय में सबसे आगे महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली आते हैं. ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की स्थिति किसी भी रिपोर्ट में अच्छी नहीं है. बिहार की इस रिपोर्ट ने एक और तस्वीर से पर्दा उठाया है, वह है गरीब सवर्ण, जिसकी संख्या 25 फीसदी है. यह महत्वपूर्ण आंकड़ा है. सरकारों को इसे देखकर पॉलिसी तय करनी होगी.

केंद्र सरकार की हालिया रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की प्रति परिवार आय में बढ़ोत्तरी का संकेत देती है. उल्लेख जरूरी है कि सरकार छह हजार रुपए सालाना किसानों के खाते में बीते कई सालों से भेज रही है. आय के मामले में मेघालय- पंजाब-हरियाणा के किसान आगे हैं. उनकी आय क्रमशः 29,348, 26,701 और 22,841 रुपए प्रति परिवार है.

उल्लेख जरूरी है कि सरकार छह हजार रुपए सालाना किसानों के खाते में बीते कई सालों से भेज रही है. आय के मामले में मेघालय- पंजाब-हरियाणा के किसान आगे हैं. उनकी आय क्रमशः 29,348, 26,701 और 22,841 रुपए प्रति परिवार है.

जम्मू-कश्मीर में यही आय 18,918, उत्तराखंड में 13,552, कर्नाटक में 13,441 और गुजरात में 12,631 रुपए है. इस आय में मजदूरी, फसल की कमाई, पशुपालन आदि की आय शामिल है.

अमीरी-गरीबी का फर्क

इसी साल आई ऑक्सफेम की रिपोर्ट भी भारत में अमीरी-गरीबी पर का फर्क बताती है. रिपोर्ट कहती है कि देश में कुल एक फीसद अमीरों के पास देश की कुल 40 फीसदी संपदा है. जबकि नीचे से 50 फीसदी आबादी के पास मात्र तीन फीसदी संपत्ति है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में सुझाव दिया गया कि अगर भारत अरबपतियों से दो फीसदी फीसदी टैक्स अतिरिक्त वसूल ले तो सरकार के पास 40 हजार करोड़ से ज्यादा आ जाएंगे जो आने वाले तीन साल तक कुपोषित बच्चों के लिए पर्याप्त होंगे.

रिपोर्ट कहती है कि टॉप 10 अरबपतियों की आय पर सिर्फ पांच फीसदी टैक्स और लगा दिया जाए तो यह रकम 1.37 लाख करोड़ रुपए बनती है. यह रकम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के सालाना बजट से डेढ़ गुना से ज्यादा है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत में जब कोरोना का जोर था, लोग दवाओं, ऑक्सीजन के लिए परेशान थे तब देश में 64 अरबपति बढ़ गए. साल 2020 में यह संख्या 102 थी जो साल 2022 में बढ़कर 166 हो चुकी है. ऑक्सफेम की यह रिपोर्ट बताती है कि गरीब, दलित, महिलाए अधिक टैक्स का भुगतान कर रहे हैं. साल 2021 में देश के एक फीसद अमीरों के पास कुल 20 फीसदी संपत्ति थी, जो 2022 में बढ़कर दो गुनी हो चुकी है.

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