भारत में एक तरफ महाराष्ट्र और गुजरात में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, लेकिन एक कंप्यूटर मॉडल से किए गए हालिया विश्लेषण से पता चला है कि बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी आने वाले दिनों में खतरनाक जोन (Danger zone) के रूप में उभर सकते हैं।
चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMSC) ने चेताया है कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 29 अप्रैल तक कुल संक्रमितों की संख्या 1,200 से भी कम थी। हालांकि, ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ के आधार पर देखें तो बीते कुछ दिनों में तीनों राज्यों में कोरोना के मरीज सबसे तेजी से बढ़े हैं। ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ किसी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद वायरस के शिकार हुए औसत मरीजों की संख्या दर्शाता है।
बुधवार तक पश्चिम बंगाल में कोरोना के 696, बिहार में 383 और झारखंड में 107 पुष्ट मामले दर्ज किए गए थे। भारत में कुल संक्रमितों में तीनों राज्यों की हिस्सेदारी 4% से भी कम थी।
महाराष्ट्र में बुधवार तक कोरोना से संक्रमित 9,915 मरीज सामने आ चुके थे। गुजरात में यह संख्या 4,082 थी। इस हिसाब से दोनों राज्यों की कुल संक्रमण में हिस्सेदारी 40% से भी ज्यादा थी।
IMSC के सीताभ्र सिन्हा ने कहा, मार्च के अंत में पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले थमते नजर आ रहे थे, लेकिन अब राज्य महाराष्ट्र की राह पर बढ़ता नजर आ रहा है। बड़े राज्यों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने की सबसे तेज दर पश्चिम बंगाल में ही है।
सिन्हा के मुताबिक लॉकडाउन से पहले देश में कोरोना का ‘रिप्रोडक्शन नंबर’ 1.83 था। 20 से 27 अप्रैल के बीच की अवधि में यह घटकर 1.29 पर पहुंच गया। बिहार में रिप्रोडक्शन दर 2.03, झारखंड में 1.87, पश्चिम बंगाल में 1.52, महाराष्ट्र में 1.5 और गुजरात में 1.38 है।