चीन के साथ बढ़ते तनाव के मध्य America ने अपने सुरक्षा इंतजामों को पोख्ता करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में America ने एक हाइपरसोनिक मिसाइल को विकसित किया है। यह मिसाइल 1 घंटे में 6 हजार किलोमीटर तक दूरी तय करने में सक्षम है। यह मिसाइल जल्द ही अमेरिकी सेना में शामिल हो सकती है। लेफ्टिनेंट जनरल एल नील थर्गुड ने कहा कि यह हाइपरसोनिक हथियार भविष्य में युद्ध प्रणाली में बदलाव की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि इसलिए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय इसके विकास पर जोर दे रहा है। आखिर क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल की क्षमता। क्या है चीन को खतरा।
सिंतबर तक सेना में शामिल होगी मिसाइल
अमेरिकी मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि इस मिसाइल को लेकर अमेरिकन आर्मी में एक खास यूनिट को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। यह भी दावा किया जा रहा है कि यह मिसाइल जल्द ही सेना में शामिल हो जाएगी। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। उधर, अमेरिकी सेना की रैपिड कैपिबिलिटिज एंड क्रिटिकल टेक्नोलॉजी ऑफिस के निर्देशक लेफि्टनेंट जनरल एल नीथ थर्गुड ने दावा किया है कि यह मिसाइल सितंबर तक सेना में कमीशन कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि अपने परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा किया है।
America को China की डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल से खतरा है। China की यह मिसाइल 2500 किलोमीटर दूर तक अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। चीन ने इस मिसाइल को पहली बार अपने 70वें वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शित किया था। इस मिसाइल का वजन 1500 किलोग्राम है। इसकी लंबाई 11 मीटर है। यह मिसाइल न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। China की डीएफ-17 की क्षमता को देखते हुए अमेरिका अपनी डिफेंस तकनीकी को अपग्रेड करने की कोशिश में जुटा है।
सबसे पहले 2017 में किया था परीक्षण
America ने इस मिसाइल के प्रोटोटाइप का सबसे पहले अक्टूबर 2017 में परीक्षण किया था, लेकिन 2020 में हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। यह परीक्षण थल सेना और नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। यह जानकारी वाइस एडमिरल जॉनी वॉल्फ ने दी थी। हाइपरसोनिक मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज हमलावर मिसाइल माना जाता है। इससे किसी भी युद्ध का नक्शा बदल सकता है। इसकी गति रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे सकती है।
चीन ने भी तैयारी शुरू की
दिसंबर 2019 में रूस ने एवेनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल बनाकर अमेरिका के सामने नई चुनौती पेश कर दी थी। रूस का दावा है कि उसकी मिसाइल 33 हजार किलोमीटर प्रति घंटा (मैक 27) की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करने वाली है। इस रफ्तार से उड़ने वाली मिसाइल को किसी भी रडार से पकड़कर उसे रोकने के लिए कार्रवाई कर पाना असंभव सा है। चीन भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अक्टूबर 2019 की अपनी राष्ट्रीय परेड में उसने तेज गति वाली डीएफ-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया था लेकिन उसके हाइपरसोनिक होने पर शक है। अमेरिका की हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत
हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार (1235 किमी प्रतिघंटा) से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ान भर सकती है।
ऐसी मिसाइलों की न्यूनतम रफ्तार 6174 किमी प्रतिघंटा होती है। ये मिसाइलें क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लैस होती हैं।
लॉन्चिंग के बाद यह मिसाइल पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है। इसके बाद यह टारगेट को अपना निशाना बनाती है। तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।
दिसंबर 2019 में ध्वनि से गति से 27 गुना ज्यादा तेज अवनगार्ड Hypersonic मिसाइल को अपनी सेना में शामिल किया था।