अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन DC में कश्मीर मुद्दे पर चल रही अमेरिकी कांग्रेस की सुनवाई में भारतीय मूल की अमेरिकी स्तंभकार और कश्मीरी पंडित सुनंदा वशिष्ठ ने भारत की कश्मीर नीति पर अपनी बात रखी, और सुनंदा वशिष्ठ ने कश्मीर पर घड़ियाली आंसू बहाने वालों को करारा जवाब दिया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से छटपटा रहे मानवाधिकार के ठेकेदारों और कश्मीर की गलत छवि पेश करने वाले बुद्धिजीवियों पर सुनंदा वशिष्ठ ने तीखा प्रहार किया। सुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि मानवाधिकारों के ठेकेदार उस समय कहां थे, जब 30 साल पहले आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतारा था। सुनंदा वशिष्ठ ने आगे कहा कि मैं कश्मीर घाटी के हिंदू समुदाय से हूं मैंने 1990 में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार और उनके दर्द को देखा है। उस वक्त कश्मीर के हालात ऐसे थे जब हमें अपना घर-बार छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था। इतना ही नहीं सुनंदा ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि सरेआम आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम किया था उस वक्त ये मानवाधिकार की दुहाई देने वाले ठेकेदार कहां थे।
पेशे से कॉलमनिस्ट और कश्मीरी पंडित सुनंदा वशिष्ठ ने आगे कहा कि आज कश्मीर पर आंसू बहाने वाले ऐसे लोग है जिनको ना तो कश्मीर के इतिहास का पता है और न ही वर्तमान की खबर है। ऐसे लोगों को तो बस वही नजर आ रहा है, जो पाकिस्तान उन्हें दिखा रहा है और वहीं समझ आ रहा है, जो पाकिस्तान उन्हें समझा रहा है।