बजट को बताया निराशाजनक और खोखला -अखिलेश-मायावती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को संसद में पेश किए गए बजट 2020-21 को विपक्ष ने निराशाजनक और खोखला करार दिया है। कांग्रेस ने बजट को किसान व नौजवान विरोधी बताया है तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने पूंजीपतियों व धन्नासेठों का बजट करार दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केन्द्रीय बजट को निराशाजनक बजट बताया है।

अखिलेश ने शनिवार को ट्वीट किया, आया BJP का एक और निराशाजनक बजट। न नौकरीपेशा को फायदा, न कारोबारी को, न उद्योग को, न किसान-मजदूर-गरीब को। युवा और भी निराश हो गए हैं और महंगाई की मारी गृहणी और भी हताश। बजट के झूठे छलावे की जगह अगर भाजपा के भ्रष्टाचार पर कर लगा दिया जाए तो देश के बुरे दिन समाप्त हो जाएंगे।

वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने एक प्रेस नोट जारी कर केन्द्रीय बजट को देश की 130 करोड़ जनता के लिए निराशाजनक बताया। मायावती ने कहा कि इस बजट से मुटठीभर पूंजीपतियों और धन्नासेठों को ही फायदा होगा। इस बजट से देश की गरीब जनता की किसी समस्या का हल नहीं होने वाला। मायावती ने कहा कि देश महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। परेशान गरीब जनता हलवा-पूड़ी नहीं बल्कि रोटी-दाल मांग रही है, लेकिन सरकार इसकी भी व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रही है। लोगों के पास काम नहीं है। किसान व मजदूरों को उनकी मेहनत का सही दाम भी नहीं मिल रहा है। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए न लोगों के पास पैसा है, जिससे बाजार में वस्तुओं की मांग भी नहीं है। इसी का परिणाम है कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है। मायावती ने कहा कि आज के बजट में इन समस्याओं का कोई समाधान नजर नहीं आता। बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए भी कोई उपाय नहीं किया गया है। कुल मिलाकर बजट खोखला और जनविरोधी है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि आने वाले समय में समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ेंगी। इस बजट से देश का माहौल और भी ज्यादा खराब होने की आशंका है। इनकम टैक्स में कुछ राहत दी गयी है लेकिन यह छूट सरल व बिना शर्त होती तो बेहतर होता। मायावती ने कहा कि बैंकों में केवल 5 लाख तक की जमा पूंजी ही पूरी तरह सुरक्षित क्यों है? बाकी पूंजी का क्या होगा? मायावती ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में निजीकरण को बढ़ावा देने से जनता का दुख-दर्द दूर हो जाएगा, ऐसा संभव नहीं लगता। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि केवल सरकारी सम्पत्तियों के बेचते रहने से देश व जनता का भला कैसे हो सकता है? यह सोचने की बात है।

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