कमलनाथ के अरमानों पर पानी फेरने में जुटीं मायावती-अखिलेश, क्या एमपी में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा पाएंगे?

मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला टक्कर का होते जा रहा है. बीजेपी सत्ता में फिर से वापसी की उम्मीद कर रही है तो दूसरी ओर कमलनाथ की अगुवाई वाली एमपी कांग्रेस सत्ता हासिल करने के लिए एड़ी चोटी की जोर लगा रही है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होती दिख रही है. कांग्रेस सत्ता में अपनी वापसी की उम्मीद लगाए है तो बीजेपी अपने दबदबे को बनाए रखने की कवायद में जुटी है. कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग न होने के चलते समाजवादी पार्टी अकेले चुनावी मैदान में है तो बसपा दलित वोटों के सहारे एक बार फिर से किंगमेकर बनने की कवायद में है. अखिलेश यादव और मायावती अब जिस तरह से कांग्रेस को लेकर मोर्चा खोल रखा है, उससे कांग्रेस के बेहतर सफलता मिलने और कमलनाथ सत्ता में आने की उम्मीदों पर पानी न फेर दे?

मध्य प्रदेश चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला भी रोचक होता जा रहा. कांग्रेस के लिए चुनौती भी बढ़ती जा रही है. एक तरफ कांग्रेस बागी चिंता का सबब बने हुए हैं तो दूसरी तरफ बसपा और गोंडवाना पार्टी का गठबंधन भी कई सीटों पर कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया है. अखिलेश यादव ने जिस तरह ने कांग्रेस को लेकर तेवर सख्त कर लिए हैं, उससे कमलनाथ के लिए चैलेंज बढ़ गया है.

बसपा और गोंडवाना पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. बसपा 178 सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 52 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सपा ने 71 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. 2018 के चुनाव में सपा में 1.30 फीसदी वोटों के साथ एक सीट जीतने में कामयाब रही जबकि बसपा दो विधायकों के साथ 5 फीसदी वोट हासिल करने में में सफल रही थी. इस तरह कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए पिछली बार साथ लेना पड़ा था, लेकिन इस बार जिस तरह से सीट शेयरिंग में सपा के साथ रिश्ते बिगड़े, उसके बाद से अखिलेश यादव जबरदस्त तरीके से हमले तेज कर दिए हैं.

सपा और बसपा के आक्रामक रुख

एमपी में एक तरफ टिकट न मिलने से नाराज दर्जनों कांग्रेसी पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में ताल ठोक रखी है तो दूसरी तरफ सपा और बसपा के आक्रामक रुख अख्तियार कर लेने के बाद कांग्रेस के टेंशन बढ़ गई है. मध्य प्रदेश के अशोकनगर में चुनावी रैली में मायावती जमकर कांग्रेस पर हमला करती नजर आईं. मायावती ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के बड़े नेता कहते हैं कि अति पिछड़े वर्ग को पूरा लाभ दिलाने के लिए जातीय जनगणना होनी चाहिए. इन्हें ये मालूम होना चाहिए कि जब अंग्रेजों के जाने के बाद लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही तब कांग्रेस के सत्ता के दौरान सबसे पहले पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के लिए जो सर्वे हुआ था, उसे कांग्रेस पार्टी की सरकार ने लागू नहीं किया.

सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी तो रास्ते अलग

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मध्य प्रदेश में पहले मिलकर चुनाव लड़ने वाले थे, लेकिन सीट शेयरिंग में बात नहीं बन सकी. अखिलेश यादव को 6 सीटों मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस ने सभी सीट पर कैंडिडेट उतार दिए. ऐसे में सपा ने भी 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए और ताबड़तोड़ रैलियां करके कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में जुट गए हैं. अखिलेश यादव ने कांग्रेस को चालू पार्टी और धोखेबाज कहते हुए इससे सावधान रहने की हिदायत देते नजर आए. साथ ही कमलनाथ का नाम लिए बगैर उनकी उम्र पर भी तंज कसा.

पिछले चुनाव 20 सीटों पर रहा था त्रिकोणीय मुकाबला

बसपा-सपा ने पिछले चुनाव में 20 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया था, जिसके चलते ही कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई थी. इस बार के चुनाव में सपा और बसपा ही नहीं आम आदमी पार्टी, बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाकर उतरे नारायण त्रिपाठी के उतरने से मुकाबला रोचक हो सकता है. बसपा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 2018 में सात, 2013 में चार और 2018 में दो सीटें जीती थी. सपा भी 2003 में सात सीट और 2018 में एक सीट जीतने में कामयाब रही थी. बसपा ने 173 सीटों पर उतारा है उम्मीदवार

बसपा ने 173 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रखा है, जिसके चलते कई स्थानों पर त्रिकोणीय मुकाबले हो सकते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये बागी उम्मीदवार कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं तो सपा और बसपा चिंता पैदा कर सकते हैं. इस तरह से करीब 70 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. हालांकि इससे पहले भी 2018 में करीब 55 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला मध्य प्रदेश में हुआ था जिसमें ज्यादातर सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी.

इस बार पहले से ज्यादा सीटों पर हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला

इस बार पहले से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की स्थिति कांग्रेस को अंदाजा है कि उसे इससे नुकसान हो सकता है. यही कारण है कि वह हर संभव कोशिश कर रही है कि इन बागियों को कमजोर किया जाए और आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे सपा-बसपा को बीजेपी की बी टीम के आरोप लगाकर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है. उत्तर प्रदेश से सटे हुए मध्य प्रदेश में सपा कई सीटों पर कांग्रेस को चुनौती देती दिख रही है तो कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा का गठबंधन पहुंचा सकता है. ऐसे देखना है कि कांग्रेस कैसे डैमेज कंट्रोल करती है?

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