अरावली पर्वतमाला की मनमोहक वादियों में बसे गांव मोहबताबाद का झरना इन दिनों चर्चा में है। खनन और कम बारिश के होने के चलते इसका प्राकृतिक स्रोत 30 साल पहले सूख गया था, लेकिन अगस्त व सितंबर माह में अच्छी बारिश होने के कारण यह झरना अपने पुराने स्वरूप में लौट आया है, जिससे की ये बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है।
ग्रामीण जयकिशन, ललित भारद्वाज और राजपाल सिंह ने बताया कि अरावली पर्वतमाला की मनमोहक वादियों में गांव मोहबताबाद फरीदाबाद में महाभारत कालीन झरना स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर बसाया था तो इस जर्जर और वीरान अरावली पर्वत पर अनेकों झरनों को अपने तप से प्रकट किया। उनमें से मोहबताबाद गांव में स्थित वर्तमान झरना भी शामिल है। यह स्थान उदयालक मुनि की तपोभूमि भी है। जिस गुफा में मुनिवर तपस्या करते थे, वह गुफा आज भी है और उनकी मूर्ति भी वहां स्थापित है जिसकी लोग पूजा करते हैं, उसी गुफा में एक बहुत विशाल शिला है, जो बिना किसी सहारे के रुकी हुई है। यह भी इस स्थान के आकर्षण का केंद्र है।
प्राचीन काल से और 30 साल पहले तक ये प्राचीन झरना पूरे साल लगातार बहता था और इसमें अरावली पर्वत पर 7 कुंड निर्मित थे, जिनसे पानी लगातार पूरे साल बहता था और नीचे एक कुंड बना हुआ है, जिसमें लोग स्नान करते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से अत्यधिक खनन और कम बारिश के होने के चलते इसका प्राकृतिक स्रोत सूख गया, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश होने के कारण ये अपने पुराने स्वरूप में आ गया है और बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। लोग इसे देखने के लिए आ रहे हैं।
कुछ वर्षों पहले ग्रामीणों ने बाबा मोहन दास के नाम से एक कमिटी बनाई और कमिटी ने उस मंदिर की मरम्मत कराई, जिसके तहत अनेकों मंदिर बनाए और कुंड का निर्माण करवाया। हर साल बाबा मोहनदास जिन्होंने यहां पर तपस्या की थी, उनकी बरसी पर गांव के लोग भंडारे का आयोजन करता है। आसपास के गांवों में इस स्थान की बहुत मान्यता है। ये स्थान तीन तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां पहुंचने पर मन को बहुत शांति और सुगून मिलता है। बंदर और लंगूर बहुत संख्या में घूमते रहते हैं। चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य और भक्ति भाव का वातावरण है।