Kabul Airport Bomb Blast

काबुल एयरपोर्ट के बाहर लगातार दो धमाके, 13 की मौत,जान बचाने के लिए मचा अफरा-तफरी

Kabul Airport Bomb Blast: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब आतंकवादियों ने खूनी खेल शुरू कर दिया है। काबुल हवाईअड्डे के बाहर गुरुवार को एक के बाद हुए दो बम धमाकों में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में कई बच्चे भी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हमले में महिलाओं, अमेरिकी सुरक्षा कर्मियों और तालिबान के गार्ड समेत कई लोग घायल हुए हैं। हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने इसे आत्मघाती हमला बताया है।

खुफिया एजेंसियों ने हमले के लिए ISIS पर शक जताया है। पेंटागन ने भी हमले की पुष्टि करते हुए अमेरिकी नागरिकों के भी हताहत होने की जानकारी दी है । वहीं काबुल स्थित अस्‍पताल की ओर से कहा गया है कि बम धमाकों के बाद अब तक लगभग 60 घायलों को भर्ती कराया गया है।

इस हमले में मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। यह आत्‍मघाती हमला अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों की ओर से जारी अलर्ट के बाद हुआ है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एक बम धमाका एयरपोर्ट के एबे गेट पर हुआ। हमले में कई अफगान नागरिक हताहत हुए हैं। इलाज के लिए घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। घटना के बाद अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह ने बम धमाके की घटना को आतंकी वारदात बताया है।


काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा गया है कि हवाई अड्डे के पास एक बड़ा धमाका हुआ है। गोलीबारी की भी खबरें हैं। अमेरिकी नागरिक इस समय हवाईअड्डे की ओर आने से बचें। जो भी नागरिक हवाईअड्डे के विभिन्‍न गेट पर हैं उनको तुरंत निकल जाना चाहिए। अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा है कि काबुल में हुए इन सिलसिलेवार आत्‍मघाती बम धमाकों के पीछे आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट का हाथ हो सकता है।


दरअसल Afghanistan में तालिबान के कब्जे का बाद वहां से निकलने की आपाधापी में Kabul Airport के अंदर-बाहर हजारों लोग जमा हैं। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश 31 अगस्त तक अपने नागरिकों और मददगार अफगानियों को काबुल से निकालने में जी जान से जुटे हैं। खुफिया जानकारी के आधार पर पश्चिमी देशों ने बुधवार को ही अपने नागरिकों को एयरपोर्ट के बाहर जमा होने से सतर्क किया था। अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया ने एयरपोर्ट पर आइएसआइएस द्वारा बम धमाकों की आशंका जताते हुए अपने देश के नागरिकों को एयरपोर्ट के बाहर जमा होने से पहले ही रोक दिया था।


वहीं समाचार एजेंसी एएफपी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के हवाले से कहा है कि फ्रांस काबुल से कई सौ अफगान लोगों को निकालने की कोशिश करेगा। फ्रांसी के राजदूत भी Afghanistan छोड़ेंगे और वह पेरिस से काम करेंगे। आस्‍ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई अन्य सहयोगी देशों की ओर से लोगों से गुजारिश की गई थी कि वे काबुल एयरपोर्ट से दूर ही रहें। ब्रिटिश सरकार की ओर से कहा गया था कि इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की ओर से काबुल हवाई अड्डे पर मौजूद लोगों को निशाना बनाकर हमले किए जा सकते हैं।
यही नहीं अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की ओर से भी लोगों को सतर्क किया गया था। काबुल में अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी अलर्ट में कहा गया था कि अमेरिकी और अफगान नागरिक एयरपोर्ट की ओर यात्रा करना टाल दें। यही नहीं एयरपोर्ट के गेट पर जो भी लोग पहले से मौजूद हैं वे तत्काल वहां से दूर चले जाएं। आस्ट्रेलिया ने भी लोगों को सतर्क करते हुए उनको एयरपोर्ट से दूर रहने की सलाह दी थी।

ब्रिटेन के सशस्त्र बलों के मंत्री जेम्स हैपी ने कहा था कि काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले को लेकर रिपोर्ट आई है। ऐसे में लोगों को एयरपोर्ट से दूर चले जाना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा था कि यह खतरा आतंकी संगठन इस्लामिक इस्टेट की ओर से है। नाटो के राजनयिक और तालिबानी नेताओं की ओर से भी Kabul Airport के इलाके में आइएस की ओर से हमले का खतरा होने की बात कही गई थी।
डेनमार्क और नीदरलैंड की ओर से भी कहा गया था कि काबुल से उड़ानें संचालित करना अब खतरे से खाली नहीं है। बता दें कि मौजूदा वक्‍त में Kabul Airport की सुरक्षा और संचालन फिलहाल अमेरिकी सैनिकों के हाथ में है। काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिका के 5800 सैनिक मौजूद हैं।

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