एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कम से कम 2 करोड़ 90 लाख महिलाएं आधुनिक दासता की शिकार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, समाज में आधुनिक दासता जबरन श्रम, जबरदस्ती विवाह ,बंधुआ मजदूरी और घरेलू दासता आदि के रूप में मौजूद है। ‘स्टैग्ड ऑड्स’ रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न के सभी पीड़ितों में 99 फीसद महिलाएं हैं। जबरदस्ती विवाह के सभी पीड़ितों में 84 फीसद और जबरदस्ती श्रम के सभी पीड़ितों में 58 फीसद महिलाएं हैं।
वॉक फ्री एंटी स्लेवरी ऑर्गनाइजेशन की सह संस्थापक ग्रेस फ्रोरेस ने संयुक्त राष्ट्र के एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस हिसाब से देखें तो दुनियाभर में 130 महिलाओं और लड़कियों में से एक आधुनिक दासता की शिकार है। इनकी मौजूदा संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि मौजूदा वक्त में जितने लोग दासता में गुजार रहे हैं उतने मानव इतिहास में कभी नहीं रहे।
Grace Forrest ने कहा कि जहां एक व्यक्ति दूसरे का व्यक्तिगत अथवा आर्थिक लाभ के लिए शोषण करता हो और किसी की स्वतंत्रता को चरणबद्ध तरीके से खत्म करता हो वह आधुनिक दासता है। उन्होंने बताया कि वॉक फ्री और संयुक्त राष्ट्र का ‘एवरी वीमेन एवरी चाइल्ड कार्यक्रम’ आधुनिक दासता को खत्म करने के लिए एक वैश्विक अभियान की शुरुआत कर रहा है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और सेफ द चिल्ड्रेन की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि इस साल की शुरुआत में Covid-19 की वजह से दुनियाभर में 15 करोड़ बच्चे गरीबी के दलदल में धंस गए हैं। Corona संकट के चलते दुनियाभर में गरीब बच्चों की संख्या करीब 1.2 अरब हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया था कि गरीबी में रह रहे 70 से अधिक देशों के बच्चों को Corona की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, पोषण, साफ-सफाई और पानी तक मयस्सर नहीं हुआ।