बाल श्रम (Child Labour) की समस्या दुनिया के लिए एक चुनौती बनती जा रही है। बात अगर हमारे देश कि कि जाये तो, भारत में तो बाल श्रम की वजह से कई मासूम बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इस क्रम में दुनिया भर में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिये हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। विभिन्न देशों द्वारा प्रयास किये जाने के बाद भी बाल श्रम को काबू न कर पाना वाकई हम सभी के लिए एक चिंतनीय विषय है। किसी भी देश का स्वर्णिम भविष्य उस देश के बच्चों पर ही टिका होता है। यहीं बच्चे कल बड़े होकर हमारे देश का नाम दुनियाभर में रोशन करेंगे।
आज के इस वक्त में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो स्कूल (School) जानें या फिर खेलने की जगह, काम करने को मजबूर हैं ताकि दो वक्त की रोटी खा सकें। स्कूल (School) जानें और खेलने कूदने की उम्र में बहुत से बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए काम करने को मजबूर हैं।
इस साल बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की थीम ”बच्चों को COVID-19 महामारी के दौरान बचाना” (Protect Children in COVID-19 Times) बचाना है। कोरोना महामारी के फैलने के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न हुई। इस वजह से कई बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई है।ऐसी परिस्थितियां बच्चों के भविष्य के वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए और खतरनाक होती है। इस स्थिति में बहुत से बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेला जा सकता है। इस वजह से बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस 2020 की थीम ”कोरोनावायरस के दौर में बच्चों को बचाना” है।
बाल श्रम की समस्या के खिलाफ विश्व दिवस के लोगों का ध्यान आर्कषित करने के लिए इसे मनाने का फैसला किया गया, ताकि बाल श्रम मिटाने या इसके खिलाफ लड़ने के तरीके खोजे जा सकें। कई देशों में मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है। इस वजह से लोगों को बाल श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है।
5 से 17 आयु वर्ग के कई बच्चे ऐसे काम में लगे हुए हैं वो अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहे जाते हैं, जैसे कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, अवकाश का समय या बस बुनियादी स्वतंत्रता नहीं मिलती। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने इसी वजह से वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर लॉन्च किया।