बिहार इस वक्त दोहरी मार झेल रहा है। जहां एक कोरोना संक्रमण के मामले बिहार में लगातार बढ़ते जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर बिहार में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, गंगा, बागमती समेत अन्य सहायक नदियां खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। नीचले इलाको में पानी भर गया है। लोग अपने अपने घरों को छोड़ सड़कों पर आ बसे हैं। बता दें बिहार के 12 जिलों की करीब 29.62 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। वहीं प्रशासन ने अभी तक करीब 2.62 लाख लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बिहार के 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। जिसमें सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण और समस्तीपुर जिले के 101 प्रखंडों के 837 पंचायतों के 29 लाख 62 हजार 653 लोग शामिल हैं। तो वहीं 22,997 लोग 26 राहत शिविरों में रह रहे हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग की माने तो बाढ़ की वजह से विस्थापित लोगों को भोजन कराने के लिए 808 सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गयी है जहां अब तक चार लाख 19 हजार 433 लोगों ने भोजन किया है। दरभंगा जिले में सबसे अधिक 14 प्रखंडों के 162 पंचायतों के 11 लाख 74 हजार 320 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। इसके साथ ही बाढ़ प्रभावित जिलों में बचाव कार्य के लिए NDRF और SDRF की कुल 26 टीमें तैनात की गई हैं। जो लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकाल कर सुरक्षित शिविरों में पहुंचाने का काम कर रही हैं।
जल संसाधन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार बागमती नदी सीतामढी, मुजफ्फरपुर और दरभंगा में खतरे के निशान से उपर बह रही है। तो वहीं बूढी गंडक नदी मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और खगडिया में, कमला बलान नदी मधुबनी में, गंगा नदी भागलपुर में, अधवारा नदी सीतामढी में, खिरोई दरभंगा में और महानंदा नदी किशनगंज के अलावा पूर्णिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं बाढ़ की वजह से लाखों हेक्टेयर में लगी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है।