मकर संक्रांति समाप्त होने ही सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए धन जुटाने का अभियान शुक्रवार को शुरू गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस काम के लिए पांच लाख एक हजार रुपये की सहयोग राशि देकर इस अभियान की शुरुआत की।
इस मौके पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि एक हफ्ते के भीतर मंदिर की नींव का डिजाइन तैयार हो जाएगा। इसके बाद मंदिर निर्माण में 39 महीने लगेंगे। इस लिहाज से देखें तो अभी से तीन साल तीन महीने बाद यानी अप्रैल 2024 तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा। यानी 2024 में इसी दौरान लोकसभा की चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी।
2019 में अप्रैल-मई में ही चुनाव कराए गए थे। 30 मई को PM नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी। जाहिर है इसको लेकर राजनीति तेज होने के संकेत है। शिवसेना इस मामले में पहले से ही BJP पर हमलावर रही है। आपको याद होगा कि पिछले ही महीने शिवसेना के अखबार सामना ने एक संपादकीय के जरिए BJP पर एक बड़ा आरोप लगाया था कि वह 2024 के चुनाव के लिए रामलला के नाम का इस्तेमाल कर रही है।
सामना के संपादकीय में लिखा गया कि घर घर चंदा मांगने के नाम पर BJP अपने लिए वोट मांगने की तैयारी में है। अखबार ने कहा था संक्रांति के बाद मंदिर निर्माण के लिए धन जुटाने का अभियान इसी रणनीति का हिस्सा है। उसने दावा कि इसके लिए 4 लाख स्वयंसेवकों को अभियान में लगाया जाएगा जो करीब 12 करोड़ परिवार से संपर्क करेंगे। ये स्वयंसेवक हर गांव तक पहुंचकर वे लोगों से चंदा जुटाएंगे।
सामना ने लिखा था कि मंदिर निर्माण के लिए हर घर से चंदा इकट्ठा करने वाली टोली बनाई गई है। मंदिर निर्माण के लिए इस तरह चंदा उगाहने का विरोध करते हुए अखबार ने लिखा था कि इसके निर्माण पर करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ खुद कह चुके हैं कि मंदिर निर्माण के लिए धन की चिंता नहीं करें। शिवसेना का तर्क है कि मंदिर की लड़ाई राजनीतित नहीं है।
यह समस्त हिंदु समाज की भावनाओं का उद्रेक था। उस उद्रेक से ही हिंदुत्व की चिंगारी जल उठी और आज की बीजेपी उसी आग पर पकी रोटियां खा रही है। शिवसेना की ओर से कहा गया कि मंदिर निर्माण के लिए उसकी पार्टी ने एक करोड़ की निधि रामलला के बैंक खाते में जमा कराई है। इसके काम के लिए अयोध्या में रामलला के नाम से बैंक खाता खोला गया है। उसमें दुनिया भर से मदद आ रहे हैं। सामना ने लिखा था कि मंदिर का राजनीतिक मामला हमेशा के लिए समाप्त हो जाना चाहिए।
पहले मंदिर वहीं बनाएंगे और अब मंदिर हमने ही बनाया, जैसे दावे-प्रति दावे क्यों ? फिर कारसेवा में जो हजारों राम भक्तों ने बलिदान दिया, वे सारे लोग अयोध्या के मठ-मंदिरों में रोटी का प्रसाद खाने गए थे या सरयू नदी में सूर्य स्नान करने गए थे?
अयोध्या का भव्य राम मंदिर लोगों के चंदे से बनाएंगे, ऐसा कभी तय नहीं किया गया था लेकिन लोगों से चंदा लेने का मामला साधारण नहीं है। यह मामला राजनीतिक है राम अयोध्या के राजा थे। उनके मंदिर के लिए युद्ध हुआ।सैकड़ों कारसेवकों ने अपना खून बहाया, बलिदान दिया। उस अयोध्या के राम का मंदिर चंदे से बनाएंगे?