मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि पर प्रवेश करते हैं तब Makar Sankranti का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यतों के अनुसार Makar Sankranti के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को Makar Sankranti पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। वहीं माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य इस दिन अपने देह को त्याग देता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है।
- मकर संक्रांति की परंपरा
- मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। साथ ही इसके पीछे यह महत्व भी है कि इस समय मौसम में काफी सर्दी होती है, तो तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करना जरूरी होता है।
- नहाकर साफ वस्त्र पहनने होते हैं।
- एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और लाल वस्त्र बिछाएं।
- चौकी पर लाल चंदन से अष्टदल कमल बनाएं।
- सूर्यदेव का चित्र या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें।
- सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें।
- सूर्यदेव को तिल और गुड़ से बने हुए लड्डुओं का भोग लगाएं।