भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और असदुद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव काफी खास है। तीनों ही पार्टियों के लिए ऐसा होने की 3 बड़ी वजह हैं। TMC की यदि बात करें तो वो सत्ता पर 2011 से काबिज है। TMC ने वर्षों से यहां पर शासन करने वाली लेफ्ट सरकार को हराकर ये सत्ता हासिल की थी। ऐसे में इस जीत को बरकरार रखने की जिम्मेदारी भी उसके ऊपर सबसे अधिक है। वहीं BJP की बात करें तो वो वर्षों से यहां पर पैर जमाने की कोशिश कर रही है। हाल ही में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव, और जम्मू कश्मीर में हुए डीडीसी चुनाव में BJP को मिली कामयाबी से पार्टी काफी उत्साहित है। इसका फायदा वो पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी उठाने की कोशिश कर रही है। वहीं तीसरी पार्टी AIMIM भी बिहार विधानसभा के चुनाव में मिली कामयाबी से काफी उत्साहित है। BJP की तरह वो इसका फायदा पश्चिम बंगाल में उठाना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी के मुखिया Asaduddin Owaisi लगातार इसकी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
गठबंधन के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश
राज्य में पार्टी के अध्यक्ष जमीरउल हसन ने इन चुनावों के मद्देनजर विशेष बातचीत में बताया कि इसमें पार्टी यहां की छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करना चाहती है। इस गठबंधन के सहारे AIMIM यहां पर पार्टी की नैया पार लगाने की कोशिश में लगी है। अपनी इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के मकसद से कुछ दिन पहले औवेसी कोलकाता भी आए थे। उनके मुताबिक राज्य के विधानसभा चुनाव सबसे बड़ा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और AIMIM के बीच में ही होना है।
ममता की बड़ी भूल
हसन का कहना है कि औवेसी ने TMC और राज्य की मुखिया ममता बनर्जी को साथ में आने का न्यौता दिया था, जिसको उन्होंने ठुकरा दिया। यह उनकी सबसे बड़ी भूल है। उनके मुताबिक हैदराबाद में औवेसी की पार्टी को मिली हार का असर पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर दिखाई नहीं देगा। इसके उलट बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत का फायदा उन्हें जरूर यहां पर मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य के कई जिले बिहार से लगते हैं जहां की राजनीति एक दूसरे को काफी हद तक प्रभावित करती है। ऐसे में इसका फायदा भी उन्हें होगा।
भाजपा से होगी सीधी टक्कर
इस बातचीत के दौरान हसन ने उन दावों और खबरों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि AIMIM के इस चुनाव में उतरने का फायदा सीधेतौर पर BJP को होने वाला है। इन दावों के मुताबिक ऐसा करके औवेसी TMC के ही वोट काटेंगे। हालांकि हसन ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समुदाय के लोगों का विश्वास TMC के ऊपर नहीं रहा है। वहीं TMC के कई नेता BJP खेमे की तरफ आने को तैयार बैठे हैं। ऐसे में यदि वो लोग TMC का रुख करते भी हैं तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वो नेता भविष्य में BJP की गोद में जाकर नहीं बैठेंगे। उनके मुताबिक TMC का प्रदर्शन राज्य में बीते एक दशक के दौरान निराशाजनक रहा है। वहीं औवेसी का दोस्ती का हाथ ठुकराकर ममता ने अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है।
बड़ी रैली करने की योजना
हसन के मुताबिक आने वाले दिनों में औवेसी फिर राज्य का दौरा करेंगे। यहां पर पार्टी एक बड़ी रैली भी करने के बारे में विचार कर रही है। वहीं यदि AIMIM छोटी पार्टियों को अपने साथ मिलाने में कामयाब रहती है तो उसके लिए ये बड़ी कामयाबी का रास्ता खोल सकती है। उनके मुताबिक पार्टी के लिए यहां पर चुनाव के मैदान में उतरना केवल फायदे का ही सौदा साबित होगा। इसमें उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला है।