भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हो चुकी है। इस सीजफायर से पहले पाकिस्तान के अंदर, भारत ने जो तबाही मचाई है, वो पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा। पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम से लेकर 5 एयरबेस तक तबाह हो चुके हैं। यही कारण रहा कि पाकिस्तान सीजफायर की गुहार, भारत के सामने लगाने लगा।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ संघर्ष, अब रुक गया है, शनिवार शाम को पाकिस्तान और भारत की ओर से सीजफायर की घोषणा की गई। अब सवाल ये है कि भारत को परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान आखिर सीजफायर की गुहार क्यों लगाने लगा? क्यों अमेरिका के पास गया? भारत ने ऐसा क्या कर दिया कि पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और बिना शर्त के ही सीजफायर के लिए ऑफर भेज डाला।
सीजफायर के लिए क्यों पाकिस्तान ने लगाई गुहार
पाकिस्तानी सेना के आला अधिकारियों द्वारा भारतीय सेना के आला अधिकारियों से फोन के जरिए बातचीत करना और यह कहना कि सीजफायर के लिए वह तैयार है। भारतीय सेना के अदम्य साहस और पाकिस्तान को पहुंची बड़ी क्षति का नतीजा है। पाकिस्तान 1971 जैसी बेइज्जती अब झेलने की हिमाकत नहीं करना चाहता है। उसे पता है कि अभी तो भारत की सेना ने ट्रेलर ही दिखाया है। जब वह इतना भयावह है तो फिर पूरी फिल्म कितनी खौफनाक होगी।
भारत के हमले से पाक तबाह
पाकिस्तान के घुटनों पर आने की सबसे बड़ी वजह थी, भारत का बार-बार पाकिस्तान के अंदर घुसना और सफल हमले करना। पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने जब इस बार भारत ने पाकिस्तान पर हमला बोला तो पहले दिन सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पीओके और पाकिस्तान में बने 9 आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया। लाहौर के एकदम नजदीक से हमला किया। एयर स्ट्राइक के बाद भारत ने कहा कि उसने सिर्फ आतंकियों के ठिकानों पर हमला बोला है, अगर पाकिस्तान ने सैन्य ठिकानों पर हमला बोला तो वो पलटवार करेगा। पाकिस्तान ने रात में ड्रोन और मिसाइल से हमला कर दिया। बस फिर क्या था, भारत ने पलटवार किया और लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। इसके अलावा भी कई शहरों पर हमले किए। इसके अगले दिन फिर से वार पलटवार हुआ, इस बार भी पाकिस्तान के सभी हमले नाकाम रहे। ड्रोन से लेकर मिसाइल तक को भारत ने हवा में ही गिरा दिया। इसके बाद भारत ने जब पलटवार किया तो पाक सेना के छिपने की जगह कम पड़ गई। भारत ने पाकिस्तान के पांच एयरबेस उड़ा डाले, एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया।
पाकिस्तान को कहां और कितना नुकसान
भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी नुकसान पहुंचाया, चाहे वह जमीन पर हो या हवा में।
इसके साथ ही भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के स्कर्दू, जकोबाबाद, सरगोदा और भुलारी एयरफील्ड को काफी नुकसान पहुंचाया है।
भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार सिस्टम को एयर स्पेस में अक्षम कर दिया है।
एलओसी के पास पाकिस्तान के कमांड और कंट्रोल, सैन्य ढांचा और सैन्यकर्मियों को काफी नुकसान पहुंचा।
पाकिस्तान की सुरक्षा और हमला करने की क्षमता नष्ट कर दी गई है।
1971 में जब इंदिरा गांधी ने किए था पाक के दो टुकड़े
ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर पाकिस्तान को 2025 में भी 1971 वाला खौफ अंदर ही अंदर क्यों खाए जा रहा था? पाकिस्तान को कैसे इंदिरा गांधी ने दो टुकड़ों में तोड़ दिया था। न तो अमेरिकी मदद पाकिस्तान को बचा पाया और न ही चीनी हथियार !
दरअसल, 1971 में जब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना युद्ध के मैदान में थी तो उस जगह की स्थानीय आबादी, जो अब बांग्लादेश कहलाती है, पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय रूप से संघर्ष कर रही थी। भारत की सेना को वहां की जनता का पूरा समर्थन प्राप्त था। लेकिन, 2025 में ऐसा नहीं है।
आज पाकिस्तानी सेना अपनी जनता और जनमत पर लगभग पूरी तरह से नियंत्रण रखती है। ऐसे कठिन हालात में भी भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसके आतंकी ठिकानों को तबाह किया है और आतंक के संरक्षकों का जीवन तहस-नहस कर दिया है।
1971 के विपरीत, अब पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं। इसके बावजूद, भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसने एक परमाणु संपन्न राष्ट्र की सीमा में घुसकर बार-बार प्रहार किया है।
पाकिस्तान भी जानता है कि यह 1971 वाला भारत नहीं है। जब उस समय पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिक हमने कैदी बनाकर रख लिए थे तो अभी तो भारत पहले से ज्यादा संपन्न, समृद्ध और आत्मरक्षा करने में सक्षम है। भारतीय सेना आधुनिक हथियारों से लैस है। भारत के पास एस-400 जैसी एयर डिफेंस सिस्टम है। जिसका जलवा पाकिस्तान देख चुका है, जो भारतीय सेना का सुदर्शन चक्र है।
1971 के मुकाबले हमारी सैन्य शक्ति कई गुना बेहतर है। तब हमने जब पाकिस्तान को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था तो अब उसका क्या हश्र होता, यह वह अच्छी तरह से जानता है।
1971 में महज 13 दिन की लड़ाई में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और उसके 90 हजार से ज्यादा फौजियों को हमने युद्धबंदी बना लिया था।
उस समय तो पाकिस्तान के साथ पश्चिमी गठबंधन और अरब के देश मजबूती से खड़े थे। तब अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था। आज भारत के साथ अमेरिका सहित विश्व के तमाम देश खड़े हैं और पाकिस्तान एकदम अलग-थलग पड़ गया है। तब चीन भी पाकिस्तान की मदद कर रहा था। लेकिन, इस बार उसने मदद का अपना तरीका बदला था और वह सीधे युद्ध में पाकिस्तान के साथ उतरना नहीं चाह रहा था। लेकिन, पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराने के बारे में जरूर बात कर रहा था।
तब श्रीलंका ने भी डर से ही सही अपने हवाई अड्डे का इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान को इजाजत दे दी थी क्योंकि उसे लग रहा था कि भारत कहीं उसके भी दो टुकड़े ना करा दे।
किस खौफ के कारण घुटनों पर आया पाक
1971 में जो देश पाकिस्तान के साथ खड़े थे, उनके साथ अभी भारत के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध बेहतर हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए इस युद्ध में लंबे समय तक टिका रहना मुश्किल था। फिर क्या था, उसे तीन-चार दिनों में ही अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने युद्ध के हालात और उसके लिए विनाशकारी हों, इससे पहले ही फोन कर अपना डर जाहिर कर दिया। पाकिस्तान यह भी जानता है कि अगर इस बार वह ज्यादा देर तक उलझा रहेगा तो 1971 की तरह उससे और टुकड़े होंगे। बलूचिस्तान और पीओके उसके हाथ से चला जाएगा।
बिना शर्त युद्धविराम
भारत ने इसके बाद युद्धविराम अपनी शर्तों पर किया। पाकिस्तान ने युद्ध विराम के लिए कोई शर्त नहीं रखी। वो बिना शर्त युद्धविराम के लिए तैयार हो गया। ऐसे में भारत ने केवल सैन्य कार्रवाई रोकी और सिंधु जल संधि का निलंबन तथा पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करने जैसे नीतिगत फैसले अब भी प्रभावी हैं। इसके अलावा, उन्होंने युद्धविराम में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका से भी इनकार किया।