अब हमें फिक्र होने लगी है कोरोना की। जो अब अपना अलग ही चरित्र दिखा रहा है। आजकल हर किसी के मन में एक ही सवाल घूम रहा है। सवाल ये कि जिन चुनावी राज्यों में खुलेआम ‘वायरस खेला’ हो रहा है। वहां तो सबकुछ खुला हुआ है, लेकिन जहां पर भीड़ जुटने की कोई वजह नहीं दिख रही है, वहां पर धड़ाधड़ लॉकडाउन हो रहा है। तो क्या कोरोना को चुनावों से परहेज है? या कोरोना अब अपना टारगेट तय कर चुका है? चलिए इन सवालों का पूरा विश्लेषण करते हैं..
महाराष्ट्र में चुनाव नहीं, कोरोना है! पश्चिम बंगाल में चुनाव है, कोरोना नहीं? हर किसी की हैरानी की वजह। कोरोना और देश की ये तस्वीरें हैं। बात ये है कि पश्चिम बंगाल में ताबड़तोड़ रैलियां हो रही हैं, यूपी में पंचायत चुनाव हो रहे हैं, हजारों लोगों का हुजूम उमड़ रहा है, यहां पर ना सोशल डिस्टेंसिंग नजर आ रही है और ना ही लोग मास्क को अहमियत दे रहे हैं। बावजूद इसके यहां पर कोरोना काबू में दिख रहा है, लेकिन इसके उलट महाराष्ट्र में कोरोना का वायरस आउट ऑफ कंट्रोल होता जा रहा है। हर दिन संक्रमण का नया रिकॉर्ड टूट रहा है, लॉकडाउन लगना शुरू हो चुका है। जिसने पूरे देश की चिंता बढ़ा रखी है।
12 मार्च वो तारीख है, जब पिछले साल कोरोना की वजह से देश में पहली मौत हुई थी। 12 मार्च 2020 को कोरोना ने कर्नाटक में 76 वर्ष के एक बुजुर्ग की जान ली थी, और वो सिलसिला तब से बदस्तूर जारी है। तब एक मौत दर्ज हुई थी और एक साल में वायरस ने 1 लाख 58 हजार से ज्यादा लोगों को जान ले ली है। एक साल पहले आज के दिन ही पहली मौत हुई थी। और 16 जून 2020 को एक दिन में 2000 से ज्यादा मौतें हुई थीं। इसके साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा पीक पर पहुंच गया था। अब के हालात ये हैं कि बीते 24 घंटे में देश में 117 लोगों की मौत हुई है।
लॉकडाउन की लिस्ट धीरे धीरे बढ़ रही है और कोरोना की कड़ी तोड़ने के लिए प्रशासन पुराने फॉर्मूले पर लौट आया है। महाराष्ट्र में लॉकडाउन की वापसी अमरावती से शुरू हुई थी। चिंता की बात ये है कि कोरोना के प्रचंड वेग को झेल चुकी जनता ने अगर थोड़ी सी सावधानी बरती होती तो कोरोना के नए लहर का खतरा इतना ना बढ़ा होता।
लोगों के बेपरवाह हो जाने की सबसे बड़ी वजह है वैक्सीन। बहुत सारे लोगों को लगने लगा है कि अब उन्हें भी वैक्सीन मिलने वाली है। और कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। तो आपको दो बातें जान लेनी चाहिए। पहली बात तो ये कि वैक्सीन लगते ही कोरोना कवच तैयार नहीं हो जाता। बल्कि वैक्सीन की दो डोज लगने के दो हफ्ते बाद तक पर्याप्त एंटीबॉडी बन पाती है। यानी संक्रमण के लिए वायरस के पास पूरा समय होता है। और दूसरी बात ये कि कोरोना टीका के बाजार में आने की बात अभी भूल जाइए। वैक्सीन के बाजार में आने में अभी महीनों लग जाएंगे।
अभी जून तक आम लोगों को टीका मिलना मुश्किल है और इसके बाद कितना वक्त लगेगा ये बताना मुश्किल है लेकिन अब सवाल पश्चिम बंगाल का जो लोग चुनावी रैलियां देखकर कोरोना वायरस को हल्के में ले रहे हैं और जो रैलियों में बिना सावधानी के उतर रहे हैं। उनके लिए बुरी खबर।
पश्चिम बंगाल के चुनावी समर में उमड़ी बेपरवाह भीड़ की आड़ में कोरोना कभी भी खेल कर सकता है। जाने कितने लोगों की जिंदगी खत्म कर सकता है। लेकिन फिर भी सियासत में शक्ति प्रदर्शन जारी है। इन रैलियों में ना सोशल डिस्टेंसिंग दिखी और ना मास्क का अता-पता था।
अब सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण खतरे की घंटी नहीं बजा रहा। बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग को ठेंगा दिखाने और मास्क नहीं पहनने पर महाराष्ट्र को ही रुला रहा है।
अगर इन आंकड़ों से बंगाल बेपरवाह है तो उसे इसकी वजह समझ लेनी चाहिए। सबसे बड़ी वजह ये है कि टेस्टिंग कम होना। महाराष्ट्र में इस साल मार्च में अब तक साढ़े आठ लाख से ज्यादा टेस्ट हुए। जबकि पश्चिम बंगाल में एक लाख नब्बे हजार के करीब। लेकिन कोरोना के केस कम या ज्यादा होने की वजह सिर्फ टेस्टिंग का ऊपर-नीचे होना ही नहीं होता है। उसमें एक और अहम चीज भी होती है और वो होती है R वैल्यू. मतलब रिप्रोडक्शन नंबर। यानी औसतन संक्रमण एक व्यक्ति से कितने लोगों में फैल रहा है उसका सूचकांक होता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि R वैल्यू 2 है, तो मतलब ये हुआ कि एक संक्रमित व्यक्ति से 2 नए व्यक्ति संक्रमित होंगे और फिर वे दोनों संक्रमित व्यक्ति 2-2 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे। फिर 4 संक्रमित 2-2 नए को संक्रमित करेंगे और इस तरह संक्रमण तेजी से फैलता जाता है।
कोरोना के कोई भी नियम का पालन नहीं हो रहा है और ना ही कोई इसका पालन करते दिख रहा है। वहां पार्टी हो रही है शादी हो रही है। इसमें से ही हमको चाहे वो बैंगलोर हो महाराष्ट्र हो और फिर जब वो फैलने लगता है। तो सबको पता है कि जो आर फेक्टर है COVID का वो एक है या उससे अधिक है.. तो इस वजह से एक लोग से होता है तो 10 लोगों को हो जाता है।
देश में इस वक्त सबसे ज्यादा R वैल्यू हरियाणा में 1.37 है..पंजाब 1.34 के साथ दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में R वैल्यू 1.15 है, जबकि पश्चिम बंगाल में 0.97 हैं। रिप्रोडक्शन नंबर यानी R वैल्यू फिक्स नहीं होता यह वायरस की संरचना और लोगों के बर्ताव, सोशल डिस्टेंसिंग वगैरह पर निर्भर करता है। साथ ही आबादी में कितने लोग इम्यून हैं, इस पर भी निर्भर करता है।
वैक्सीन लगने से पूरी पिक्चर ऑल्टर हो चुकी है..लोगों में इम्युनिटी डेवलेप हो गई है। एक कोई कारण को पिन प्वाइंट करना बहुत मुश्किल है. इम्युनिटी डेवलेप होने के साथ कौन सा स्टेंन कहां फैला है इस पर भी निर्भर करता है।
मतलब ये कि कोरोना जैसा अदृश्य दुश्मन. लापरवाही का बूस्टर मिलते ही कभी भी, कहीं भी लोगों को एक बार फिर तेजी से चपेट में लेना शुरू कर सकता है। यानी बंगाल की इस भीड़ में भी कोरोना वायरस मौजूद है.. फर्क सिर्फ इतना है कि अभी वायरस कमजोर है.. और अगर वो रफ्तार पकड़ ले तो बंगाल की बेपरवाही पर कोरोना का भारी पड़ना तय है।