CM Bhupesh Baghel

छत्तीसगढ़ में बंद हुआ बघेल को बदलने का रास्ता,गहलोत की सियासत को भी मिली मजबूती

पंजाब प्रकरण में लगे सियासी झटके के बाद कांग्रेस हाईकमान के लिए छत्तीसगढ़ (Chhattisgrah) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को बदलने का रास्ता अब लगभग बंद हो गया है। भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपा जाना भी इस बात का साफ संकेत है कि शीर्ष नेतृत्व पंजाब में हुई किरकिरी के मद्देनजर छत्तीसगढ़ (Chhattisgrah) को नए सियासी घमासान का अखाड़ा बनाने का जोखिम नहीं लेगा। इतना ही नहीं, इस प्रसंग से राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM ashok gehlot)की सियासत को मजबूती मिल गई है और इसकी वजह से पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थकों को सत्ता संगठन में भागीदारी मिलने की राह में चुनौती बढ़ गई है।

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) को हटाने के लिए किए गए सियासी आपरेशन के बाद कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में छत्तीसगढ़ (Chhattisgrah) में नेतृत्व परिवर्तन किए जाने को लेकर हलचल चल रही थी। कांग्रेस नेतृत्व भी इस विकल्प पर विचार कर रहा था। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव कांग्रेस नेतृत्व के लिए बघेल के विकल्प के रूप में मौजूद भी थे। यद्यपि विधायकों के समर्थन के दम पर बघेल नेतृत्व के इस इरादे को फलीभूत होने से रोक रहे थे, लेकिन कैप्टन के सियासी आपरेशन ने बघेल को भी बेचैन कर दिया था। इस बीच, नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद हाईकमान को बैकफुट पर देखकर बघेल और गहलोत दोनों ने अपने जवाबी सियासी दांव चलते हुए अपने राज्यों में किसी तरह की फेरबदल की संभावनाओं का रास्ता ही बंद कर दिया।

बघेल ने शनिवार को साफ कह दिया कि छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं है। वहीं, गहलोत ने सचिन पायलट पर परोक्ष निशाना साधते हुए स्पष्ट कहा कि राजस्थान की राजनीति से वह अभी कहीं जाने वाले नहीं हैं और अगले 15-20 साल राज्य में जमे रहेंगे। बघेल और गहलोत की यह सार्वजनिक बयानबाजी साफ तौर पर कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी संदेश है कि इन दोनों राज्यों में पंजाब जैसी सियासी कसरत की कोई गुंजाइश नहीं है। इससे साफ है कि कांग्रेस के ये दोनों मुख्यमंत्री पंजाब में सिद्धू के इस्तीफा प्रकरण से बैकफुट पर दिख रहे पार्टी हाईकमान को अपने राज्यों में फ्रंटफुट पर आने का कोई मौका नहीं देंगे।

राजस्थान में तो हाईकमान के लिए चुनौती और भी बढ़ गई है क्योंकि कैप्टन प्रकरण के चलते गहलोत पर बना दबाव खत्म हो गया है और ऐसे में पायलट समर्थकों को सरकार में जगह दिलाने के लिए उससे कहीं ज्यादा मशक्कत करनी होगी। कांग्रेस नेतृत्व को भी शायद इस बात का अहसास हो गया है, तभी भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाने की शनिवार को घोषणा की गई।

उत्तर प्रदेश का चुनाव अगले साल फरवरी-मार्च में होना है और इस दरम्यान बघेल को बदलने पर विचार भी नहीं होगा। इसका सियासी मतलब साफ है कि बघेल छत्तीसगढ़ (Chhattisgrah) के अगले चुनाव तक अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे क्योंकि अगले साल मार्च के बाद छत्तीसगढ़ (Chhattisgrah) में चुनाव के लिए डेढ़ साल का समय बचेगा और तब नेतृत्व परिवर्तन करना हाईकमान के लिए और भी मुश्किल होगा।

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