OMICRON variant of corona

…तो यहां से आया कोरोना?

कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि Second Wave का कहर जल्द खत्म हो सकता है। ऐसे में फिर पुराना सवाल एक बार फिर खड़ा हो रहा है कि आखिर दुनिया को Covid-19 त्रासदी देने वाला कोरोना वायरस आखिर कहां से आया है। अमेरिका समेत वैश्विक स्तर पर कई लोगों ने इसकी जांच को और तेज करने की बात कह रहे हैं।


आखिर क्यों जरूरी है उत्पत्ति की जांच?
Coronavirus कहां से शुरू हुआ, इस बात को लेकर कई थ्योरीज चल रही हैं। यही कारण है कि एक्सपर्ट्स के स्तर से लेकर एक आम आदमी तक इस वायरस को लेकर कंफ्यूज हैं। नवंबर 2019 के आसपास इस वायरस के वुहान में पहली बार पुष्टि होने की खबरें आई थीं। इसके बाद कहा जाने लगा था कि यह वायरस चमगादड़ों के जरिए इंसानों तक पहुंचा।


हालांकि, कई थ्योरीज, केस स्टडीज और जांचों के बाद भी सच्चाई का पता नहीं चल सका है। ऐसे में जब दुनिया Coronavirus का सबसे बुरा दौर देख रही है, तो यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि आखिर यह आया कहां से हैं। भविष्य में आने वाली आपदाओं से इंसानों को बचाने के लिए भी इस बात की खोज को बेहद अहम माना जा रहा है।

वुहान लैब लीक थ्योरी के बार में यहां समझते हैं…


सबसे पहले, तो यह जान लेना जरूरी है कि अभी तक यह साबित नहीं हो सका है कि Covid-19 महामारी का कारण बना Coronavirus चीन की लैब से निकला था।
चीन ने वायरस के लैब से लीक होने वाली बात का पूरी तरह से खंडन किया है। साथ ही चीन ने अमेरिका समेत कई अन्य पर षड्यंत्र रचने और ध्यान भटकाने के लिए महामारी को राजनीति से जोड़ने का आरोप लगाया है।


हालांकि, इसके बाद भी चीन लगातार Covid-19 की उत्पत्ति की खोज का पता लगाने में रुकावटे डाल रहा है। वह लगातार जांच की कोशिशों को रोक रहा है। इसी रवैये के चलते कई सवाल उठे हैं कि अगर चीन के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो वह कुछ भी क्यों छिपा रहा है।


लैब से वायरस लीक होने की बात उन रिपोर्ट्स के बाद सामने आई, जहां साल 2012 में 6 माइनर बीमार पड़ने और यूनान के दक्षिण-पश्चिम स्थित चमगादड़ों की एक गुफा में जाने के बाद वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं की तबियत बिगड़ने की बात का जिक्र है।

फिलहाल, इस थ्योरी के कई सिरे हैं, लेकिन इनमें सबसे लोकप्रिय यह है कि माइनर्स SARS-CoV-2 के रिश्तेदार की चपेट में आए थे, जिसने कोविड-19 आपदा फैलाई। इसके बाद इशारा वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में हुई चीनी रिसर्च की तरफ जाता है कि साल 2019 में कुछ गलतियों की वजह से महामारी शुरू हुई।


इस थ्योरी को लेकर कई लोगों ने मजाक उड़ाया, लेकिन इसमें भरोसा करने वालों ने परत-दर-परत सबूतों को सामने लाना जारी रखा। पत्रकारों को चमगादड़ों की गुफा से बाहर निकालने से लेकर इंटरनेट से दस्तावेज हटाने तक उन्होंने बताया कि चीन कैसे आपत्ति जता रहा है।
इस बात को लेकर शोध जारी है और इसका नेतृत्व करने वाले खुद को डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनोमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिंग कोविड-19 यानी DRASTIC कहते हैं। इस समूह में भारतीय भी शामिल हैं।

इनमें पश्चिम बंगाल का एक युवा प्रमुख है, जिसकी उम्र 20 साल के करीब है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ‘The Seeker’ नाम से पहचाने जाने वाले इस युवा को न्यूजवीक के एक आर्टिकल में भी शामिल किया गया था।


लैब थ्योरी की बात फरवरी 2020 के बाद से सामने आने लगी थी। उस दौरान वायरस दुनिया में धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा था। रिसर्च पेपर्स में चीनी शोधकर्ताओं ने यह डर जाहिर किया था कि चमगादड़ के जीनोम से मेल खाने वाला Coronavirus ‘शायद लैब से निकला है।’ हालांकि, मेडिकल अथॉरिटीज ने इस तथ्य से इनकार किया था। इन रिसर्च पेपर्स को बाद में हटा लिया गया था।


हाल ही में सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लैब लीक को लेकर शुरू हुई बहस के बाद वैज्ञानिक एक बार फिर जांच में जुट गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वायरस की उत्पत्ति को लेकर तीन महीने के अंदर इंटेलीजेंस रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1