Vishwakarma Puja 2024: भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि ब्रह्माजी के कहने पर विश्वकर्मा ने दुनिया बनाई थी. उन्होंने ही भगवान कृष्ण की द्वारका से लेकर शिवजी का त्रिशूल और हस्तिनापुर बनाया था. विश्वकर्मा जयंती के दिन लोग अपने दफ्तर, कारखाने, दुकान, मशीन, औजार की पूजा करते हैं. भगवान ब्रह्मा के 7 वें पुत्र विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी उसे सजाने, सवांरने और निर्माण करने का कार्य विश्वकर्मा को ही दिया था. विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी भी कहा जाता है. हर साल 17 सितंबर को बड़े छोटे कारखानों, उद्योगों, कंपनियों, दुकानों आदि में विश्वकर्मा की पूजा की जाती हैं. धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद के अनुसार विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार, संपत्ति आदि में बढ़ोतरी होती है जिससे व्यक्ति को अधिक धन लाभ होता है.
कौन है भगवान विश्वकर्मा?
हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से ने लोकल 18 को बताया कि भगवान ब्रह्मा के 7 वें पुत्र विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है. भगवान विश्वकर्मा को ही सृष्टि का पहला वास्तुकार, शिल्पकार और इंजीनियर माना जाता है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और नौकरी व व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं. साथ ही इस दिन मशीन, औजार और वाहन आदि की पूजा करने से वे कभी बीच काम या वक्त बेवक्त धोखा नहीं देते, जिससे काम आसानी से पूरे हो जाते हैं. साथ व्यापार या निर्माण आदि संबंधित कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है. 17 सितंबर को विधि विधान से विश्वकर्मा पूजा की जाए तो उद्योग, कारोबार, संपत्ति आदि में बढ़ोतरी होती है और अधिक धन लाभ होता है.
विश्वकर्मा जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर यानी आज की जाएगी। वैसे तो शिल्पकार विश्वकर्मा की पूजा दिनभर की जाती है लेकिन इनकी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस मुहूर्त में ही आप फैक्ट्री, वाहन, औजार, मशीन आदि की पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि
विश्वकर्मा जयंती पर सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद ऑफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री आदि छोटे या बड़े संस्थान की पूरी तरह साफ सफाई करें। साथ ही सभी उपकरण, औजार, सामान, मशीन की भी साफ सफाई करें। फिर पूरी जगह गंगाजल से छिड़काव करें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें। इसके बाद फूल अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें। फिर भगवान को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। साथ में पूरे संस्थान और मशीन, औजार आदि चीजों की भी आरती करें। पूजन में भगवान विष्णु का भी ध्यान करें और यज्ञ आदि का आयोजन करें। जहां पूजा कर रहे हों, उस परिसर में हर जगह आरती लेकर जाएं और भोग सभी में वितरण कर दें। पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा से सफलता की कामना करें।विश्वकर्मा जयंती का महत्व
भगवान विश्वकर्मा को ही सृष्टि का पहला वास्तुकार, शिल्पकार और इंजीनियर माना जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और नौकरी व व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं। साथ ही इस दिन मशीन, औजार और वाहन आदि की पूजा करने से वे कभी बीच काम या वक्त बेवक्त धोखा नहीं देते, जिससे काम आसानी से पूरे हो जाते हैं। साथ व्यापार या निर्माण आदि संबंधित कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इससे मशीनरी पर खर्च भी कम होता है और पूरा कार्य भी होता है।