Bakrid 2020

भारत में कब है बकरीद, जानिए कुर्बानी का गोश्त कितने भागों में बांटना होता है

1 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद

बकरीद मुसलमानों का अहम त्यौहार है। इस मौके पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के लिए मुसलमान जानवर या तो पालकर रखते हैं या फिर बाजार से खरीदकर लाते हैं। उन्हें नमाज के बाद से तीन दिनों तक जानवरों को कुर्बान करने की इजाजत होती है। कुर्बानी दरअसल पैगम्बर इब्राहिम की सुन्नत है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म के आगे अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का फैसला किया। हालांकि अल्लाह का मकसद किसी इंसान की कुर्बानी लेना नहीं था बल्कि इब्राहिम की परीक्षा लेना था। जिसमें इब्राहिम कामयाब साबित हुए। अल्लाह को उनकी ये अदा बहुत ज्यादा पसंद आई। उसके बाद से ये ही सुन्नत मुसलमानों में चली आ रही है। जिसका महत्व इस्लाम की धार्मिक किताबों में बताया गया है।

त्यौहार पर जानवर कुर्बान करने की है परंपरा

कुर्बानी करना हर अकलमंद, बालिग, आर्थिक रूप से संपन्न मुसलमान पर फर्ज है। आर्थिक रूप से संपन्न होने की इस्लाम में 52 तोला चांदी का मालिक या उसकी कीमत के बराबर का रुपए होना शर्त है। इस्लाम में कुर्बानी करनेवाले को अपने दोस्तों, पड़ोसियों और गरीबों का भी ख्याल रखने की ताकीद की गई है। कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता है। एक हिस्सा गरीबों के खास होता है। दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों समेत परिचितों को दिया जाता है। तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। जानवर की कुर्बानी करते समेत एक साल से कम उसकी उम्र नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा जानवर मजबूत और स्वस्थ्य होने चाहिए।

ईद-अल-अधा, जिसे ‘कुर्बानी का त्योहार’ के रूप में भी जाना जाता है। इस्लाम धर्म में यह त्योहार इब्राहिम के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह के आदेश को मानते हुए इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। हालांकि, ऐसा होने से पहले अल्लाह ने कुर्बानी के लिए एक मेमना दे दिया था। इसी वजह से इस त्योहार को बकरीद के तौर पर जाना जाता है।

ईद-अल-अधा इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के धू अल-हिजाह (बारहवें और अंतिम महीने) के 10 वें दिन से शुरू होता है और 4 दिन बाद समाप्त हो जाता है। इस साल, 31 जुलाई (शुक्रवार) कोदुनिया भर में बकरीद का जश्न शुरू होगा, जैसा कि सऊदी अरब द्वारा ऐलान किया गया है। हालांकि, दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कहा कि बकरीद 1 अगस्त (शनिवार) को भारत में चांद के दीदार के बाद मनाई जाएगी।

ऐसे मनाई जाती है बकरीद
परंपरागत रूप से, बकरीद के दिन कुर्बानी का पके हुए मांस का एक हिस्सा त्योहार के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है, जबकि बाकी हिस्सा परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है। बकरीद का त्योहार अल्लाह को अपनी सबसे अजीज चीज की कुर्बानी देने के रूप में माने जाता है।
कोरोना महामारी के इस दौर में योगी सरकार ने बकरीद की नमाज और कुर्बानी के लिए गाइडलाइन जारी की है। यूपी पुलिस की तरफ से जारी दिशा निर्देश के अनुसार सभी लोगों को घर में ही नमाज अदा करनी होगी। मस्जिद में सामूहिक नमाज अदा नहीं की जाएगी।


सावन के आखिरी सोमवार को ही बकरीद पड़ रही है, लिहाजा पुलिस ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिये हैं। कहा गया है कि कुर्बानी खुले में नहीं होगी, साथ ही प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी नहीं दी जाएगी। धर्मगुरुओं से भी अपील की गई है कि वे इस गाइडलाइन के बाबत लोगों को अवगत कराएं।

गैर मुस्लिम स्थानों पर कुर्बानी के अवशेष न हों


गाइडलाइन में कहा गया है कि गैर मुस्लिम स्थलों व क्षेत्रों में कुर्बानी के अवशेष न हों, इसे भी सुनिश्चित किया जाए। ऐसी स्थिति में विवाद उत्पन्न हो सकता है। लिहाजा विशेष सतर्कता बरतनी जरूरी है।

बकरीद के दौरान, किसी भी समय सूर्य पूरी तरह से उगने से ठीक पहले जुहर समय के बाद प्रार्थना की जा सकती है। इस साल, कोरोनोवायरस महामारी के कारण देश के कई हिस्सों में बकरीद के त्योहार की रौनक थोड़ी फीकी पड़ सकती है। कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से अहमदाबाद में, सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि या शहर में पशु जुलूसों को प्रतिबंधित किया गया है।

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