Blue Moon 2020

क्या है Blue Moon,इस बार क्यों है खास,जानिए इसका धार्मिक महत्‍व

आज शनिवार को आसमान में एक दुर्लभ नजरा दिखाई देगा। मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद प्रांजपेय के हवाले से कहा है कि 31 अक्टूबर को ‘Blue Moon का नजारा दिखाई देगा। खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि 31 अक्टूबर की रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से Blue Moon को देख सकता है। खगोल विज्ञानी अध्‍ययन के लिए इस घटना को लेकर उत्‍सुक हैं।

‘ब्लू मून’ होता क्‍या है आइये सबसे पहले इसे वैज्ञानिक नजरिए से समझते हैं। अमेरिका स्‍पेस एजेंसी नासा के अनुसार, ‘Blue Moon ‘ की खगोलीय घटना बेहद दुर्लभ होती है। भले ही इस घटना को ‘Blue Moon ‘ नाम दिया गया हो लेकिन ऐसा नहीं है कि चांद दुनिया में हर जगह नीले रंग का दिखने लगता है। असल में जब वातावरण में प्राकृतिक वजहों से कणों का बिखराव हो जाता है तब कुछ जगहों पर दुर्लभ नजारे के तौर पर चंद्रमा नीला प्रतीत होता है।’


यह घटना वातावरण में कणों पर प्रकाश के पड़कर उसके बिखरने से होती है। वैसे यह दुर्लभ ही होता है कि एक ही महीने में 2 बार पूर्णिमा पड़ जाए यानी पूर्ण चंद्र दिखाई दे। ऐसे में दूसरे पूर्ण चंद्र को ‘Blue Moon ‘ के नाम से जानते हैं। मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद प्रांजपेय ने बताया कि बीते एक अक्टूबर को पूर्णिमा थी और अब दूसरी पूर्णिमा 31 अक्टूबर को पड़ रही है। अमूमन ‘Blue Moon ‘ पीले और सफेद दिखते हैं लेकिन कल चंद्रमा सबसे अलग दिखाई देगा।
इस खगोलीय घटना में कुछ गणितीय गणना भी शामिल है। निदेशक अरविंद प्रांजपेय के अनुसार, 30 दिन वाले महीने में पिछली बार 30 जून 2007 को ‘ब्लू मून’ की घटना हुई थी। अगली बार ठीक ऐसी घटना 30 सितंबर 2050 को होगी। 31 दिन वाले महीने के हिसाब से देखें तो साल 2018 में 2 बार ऐसा अवसर आया जब ”Blue Moon ‘ की घटना हुई। उस दौरान पहला ‘Blue Moon ‘ 31 जनवरी जबकि दूसरा 31 मार्च को हुआ। गणना के मुताबिक, अगला ‘Blue Moon ‘ 31 अगस्त 2023 को होगा।

खगोल विज्ञानियों के अनुसार, एक माह में 2 पूर्ण‍िमा होने पर दूसरी पूर्ण‍िमा के फुल मून को ‘Blue Moon ‘ कहा जाता है। नासा की मानें तो नीला चांद दिखना दुर्लभ जरूर है लेकिन असामान्‍य नहीं… इसके पीछे वातवरण की गतिविधियां शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर साल 1883 में क्राकोटा ज्‍वालामुखी फटा था जिससे निकला धूल का गुबार वातावरण में घुल गया था। इससे चंद्रमा नीला नजर आया था।

अरविंद प्रांजपेय ने बताया कि चंद्र मास की अवधि 29.531 दिनों यानी 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है। ऐसे में एक ही महीने में 2 बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए। वहीं दिल्ली के नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री का कहना है कि 30 दिन के महीने के दौरान ‘Blue Moon ‘ होना बेहद दुर्लभ है। आइये अब इसके अध्‍यात्‍मिक पहलू पर गौर करते हैं।


इस बार संयोग है कि Sharad Purnima के मौके पर यह घटना हो रही है। आम तौर पर शरद पूर्ण‍िमा का महत्‍व चंद्रमा की खूबसूरती के साथ साथ धार्मिक भी है। ज्‍योतिष के जानकारों और हिंदू मान्‍यता के अनुसार इस रात मां लक्ष्‍मी की कृपा विशेष तौर पर प्राप्‍त होती है। धर्माचार्यों की मानें तो इस रात चंद्रमा की किरणों में सुधा यानी अमृत की बारिश होती है। पूर्वांचल के ग्रामीण इलाकों में इस रात चंद्रमा की रोशनी में खास पकवान के तौर पर खीर रखने की भी मान्‍यता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि Sharad Purnima के दिन ही माता लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ था। इस बार की पूर्णिमा ईसाई मत के अनुसार भी बेहद खास होने जा रही है। कल यानी 31 अक्‍टूबर को Sharad Purnima के साथ साथ इसाइयों का पर्व हैलोवीन भी है। ईसाई धर्म के लोगों की मान्‍यता है कि इस दिन आत्‍माएं सक्रिय होती हैं।

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