Ayodhya time capsule

जानिए क्या है टाइम कैप्सूल?

नई दिल्ली- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर निर्माण स्थल पर जमीन में लगभग 200 फीट एक Time Capsule रखे जाने के बाद एक बार फिर से इसकी चर्चा होने लगी है। इस Time Capsule का मकसद यह है कि सालों बाद भी यदि कोई श्रीराम जन्मभूमि के बारे में जानना चाहे तो वो इससे जान सकता है। हम आपको इस खबर के माध्यम से बताएंगे कि Time Capsule आखिर होता क्या है? इसको जमीन के नीचे ही क्यों रखा जाता है? इसको बनाने में किस धातु का इस्तेमाल किया जाता है? अब से पहले किन-किन जगहों पर ऐसे कैप्सूल रखे जा चुके हैं।


ऐसा नहीं है कि किसी जगह पर Time Capsule पहली बार रखा जा रहा है इससे पहले भी देश में अलग-अलग जगहों पर टाइम कैप्सूल रखे जा चुके हैं। लाल किला, कानपुर के IIT कॉलेज और कृषि विश्वविद्यालय में इसे रखा जा चुका है। अब ऐतिहासिक रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण में Time Capsule रखा जा रहा है। Time Capsule का इस्तेमाल दुनिया के अन्य देशों में भी किया जा रहा है।


श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, राम जन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए जितनी लंबी लड़ाई कोर्ट में लड़नी पड़ी है, उससे यह बात सामने आई है कि अब जो मंदिर बनवाएंगे, उसमें एक ‘Time Capsule ‘ बनाकर 200 फीट नीचे डाला जाएगा। जिससे यदि किसी तरह का विवाद भविष्य में हो तो इससे उसे सुलझाया जा सके। अब तक देश में लगभग आधा दर्जन जगहों पर इस तरह के Time Capsule पहले भी रखे जा चुके हैं। इसमें ऐतिहासिक लाल किला भी शामिल है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे 32 फीट नीचे रखा था।

इतिहास रहेगा जमीन के अंदर, नहीं होगी कोई समस्या

भविष्य में जब कोई भी इतिहास देखना चाहेगा तो श्रीराम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के साथ यह तथ्य भी निकल कर आएगा, जिससे कोई भी विवाद जन्म ही नहीं लेगा। राम मंदिर निर्माण स्थल पर जमीन में लगभग 200 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।


टाइम कैप्सूल होता क्या है?

Time Capsule एक कंटेनर की तरह होता है जिसे विशिष्ट सामग्री से बनाया जाता है। Time Capsule हर तरह के मौसम का सामना करने में सक्षम होता है, उसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। काफी गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो उसको कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है।
400 साल पुराना टाइम कैप्सूल बर्गोस में मिला था

30 नवंबर, 2017 में स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना Time Capsule मिला था। यह यीशू मसीह के मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के अंदर एक दस्तावेज था जिसमें 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सूचना थी। फिलहाल इसे ही सबसे पुराना Time Capsule माना जा रहा है। इसके बाद फिलहाल ऐसा कोई Time Capsule नहीं मिला है।


टाइम कैप्सूल क्यों दफनाया जाता है?

Time Capsule को दफनाने का मकसद किसी समाज, काल या देश के इतिहास को सुरक्षित रखना होता है। यह एक तरह से भविष्य के लोगों के साथ संवाद है। इससे भविष्य की पीढ़ी को किसी खास युग, समाज और देश के बारे में जानने में मदद मिलती है। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो साल 2011 में उन पर भी Time Capsule दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे Time Capsule दफनाया गया है जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।


विशिष्ट सामग्री से होता है टाइम कैप्सूल का निर्माण

Time Capsule एक कंटेनर की तरह होता है जिसे विशेष प्रकार के तांबे (कॉपर) से बनाया जा रहा है और इसकी लंबाई करीब तीन फुट होगी। इस कॉपर की विशेषता यह है कि यह सालों साल खराब नही होता है और सैकड़ों हजारों साल बाद भी इसे जब जमीन से निकाला जाएगा तो इसमें मौजूद सभी दस्तावेज पूरी तरह से सुरक्षित होंगे। Time Capsule हर तरह के मौसम का सामना करने में सक्षम होता है, उसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। काफी गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो उसको कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है।

आईआईटी कानपुर में भी रखा गया टाइम कैप्सूल

IIT कानपुर ने भी अपने स्वर्ण जयंती कार्यक्रमों के दौरान पिछले 50 साल के इतिहास को संजोकर रखने के लिए टाइम कैप्सूल का निर्माण करवाया था। इस Time Capsule को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल फरवरी 2010 में जमीन के नीचे रखा था। इस Time Capsule में IIT में अब तक के सभी रिसर्च, अनुसंधान, शिक्षकों एवं फैकल्टी के बारे में सारी जानकारी सुरक्षित रखी गई थीं ताकि अगर कभी यह दुनिया तबाह भी हो जाए तो IIT कानपुर का इतिहास सुरक्षित रह सके।


चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर

इसके अलावा कानपुर के ही चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भी Time Capsule रखा गया है। इसमें भी कृषि विश्वविद्यालय के इतिहास से संबंधित तमाम तरह की जानकारियों को सहेजकर उसे जमीन के नीचे रखा गया है।

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