मेष संक्रांति के भांति ही Vrishabha Sankranti भी महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू कलैंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास को वर्ष का दूसरा महीना माना गया है। इस महीने सूर्य के वृष राशि में प्रवेश करने को Vrishabha Sankranti कहा जाता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्च बताया गया है। एक राशि में सूर्य एक माह तक गोचर करते हैं। इस दृष्टि से हर माह एक संक्रांति होती है। वृषभ राशि में सूर्य 15 जून तक रहेंगे। इसके बाद वह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
सूर्य सभी राशियों पर डालते हैं प्रभाव
सूर्य सभी ग्रहों में अधिपति हैं। इस कारण उनका राशि परिवर्तन सभी राशियों पर पूरा प्रभाव डालता है। सूर्य की स्थिति को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी गई है। जन्म कुंडली में सूर्य की डिग्री और स्थिति से ही व्यक्ति के भविष्य का पता चलता है। सूर्य का संबंध पद-प्रतिष्ठा,यश-अपयश, आत्मबल, नेत्र, आरोग्य आदि से भी है। शासन-प्रशासन का कारक भी सूर्य ही है।
व्रत और पूजा
संक्रांति का व्रत लाभकारी माना गया है। इस दिन व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में यश वैभव प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और सूर्य भगवान की आराधना श्रेयष्कर मानी गई है।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने को शुभ माना गया है। लेकिन इस समय Coronavirus के चलते Lockdown की स्थिति बनी हुई है। लोग SOCIAL DISTANCING का पालन कर रहे हैं। ऐसे में घर पर ही स्नान करने के दौरान जल में गंगा जल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करें।
प्याऊ स्थापित करने से मिलता है पुण्य
ज्येष्ठ मास गर्मी का महीना होता है। सूर्य देव इस महीने अपने पूरे प्रभाव में होते हैं। ऐसे में जल का संकट उत्पन्न हो जाता है। Vrishabha Sankranti पर प्याऊ लगवाने और जल से भरे घड़े दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन जगह प्याऊ लगाने से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
शुभ मुहूर्त
14 मई 2020: वृषभ संक्रांति
पुन्यकाल: सुबह 10.37 बजे से शाम 5.33 बजे तक
पून्यकाल की कुल अवधि: 6. 56 घंटे
महा पून्यकाल: 3.23 बजे से शाम 5.33 बजे तक