विदिशा मैत्रा 2009 बैच की भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं। विदिशा ने साल 2008 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास की थी। उन्हें पूरे देश में 39वां रैंक मिला था। 2009 में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर का अवॉर्ड मिला था। ‘परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया टू द यूएन’ की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र में पोस्टिंग के बाद उन्हें सुरक्षा परिषद रिफॉर्म से जुड़े मुद्दे देखने की अहम जिम्मेदारी दी गई है। वे सिक्युरिटी काउंसिल (पड़ोस/क्षेत्रीय) से जुड़े मुद्दे देखती हैं। विशेष राजनीतिक मिशन में उनकी अहम भूमिका रहती है।
इसके अलावा गुट निरपेक्ष देशों के साथ समन्वय, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की जिम्मेदारी भी उनके पास है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के जरिए दुनिया के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थान से संपर्क करने का दायित्व भी विदिशा मैत्रा के पास है।
विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान की ध’ज्जियां उड़ा दीं। विदिशा ने पूछा कि क्या इमरान खान इस बात से इनकार कर सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आ’तंकी करार दिए गए 130 दह’शतगर्द और 25 संगठन पाकिस्तान में रहते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा आ’तंकी करार दिए गए शख्स को पेंशन देता है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की आवाज बुलंद करने का दावा करने वाले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रह गई है।