कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ। दोनो पक्षों ने इस समझौते पर दस्तखत किए। समझौते के बाद अमेरिका का लक्ष्य होगा कि वह 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से सभी सैन्य बलों को वापस बुला लें। इस समझौते में लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री व प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा। इसके लिए तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा से अपने सारे रिश्ते तोड़ने होंगे। यह समझौता इस क्षेत्र में एक प्रयोग है। अफगानिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से घोषणा की है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की संख्या घटाकर 8,600 की जाएगी। साथ ही अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते में किए गए वादों को 135 दिन में लागू किया जाएगा। इस बीच अमेरिका ने फिर से जोर देकर कहा कि वह अफगानिस्तान की सरकार की सहमति से लगातार सैन्य ऑपरेशन चलाने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि हम तालिबान पर नजर बनाए रखेंगे। अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेना को तभी हटाएगा। जब पूरी तरह से पुख्ता कर लेगा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आतंकी हमले नहीं करेगा। माना जा रहा है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते से अफगानिस्तान में शांति कायम होगी। साथ ही लंबे समय बाद अफगानिस्तान गृह युद्ध से बाहर निकलेगा।