गर्मी बढ़ने से कैसे बढ़ गई ठंड

एक अध्ययन में दावा किया गया है कि आर्कटिक के गर्म होने की वजह से पोलर वोर्टेक्स घटनाएं बढ़ गई हैं. इसे फरवरी में अमेरिका में आई शीत लहर से जोड़ कर देखा जा रहा है, जिसके असर से 170 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.पोलर वोर्टेक्स के दौरान सुदूर उत्तर से आने वाली ठंडी हवाएं अमेरिका के केंद्रीय और पूर्वी इलाकों में बेहद ठंड पैदा कर देती हैं. इस नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक प्रांत में जो गर्मी बढ़ रही है, उसकी वजह से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं. “साइंस” पत्रिका में छपे इस अध्ययन में पहली बार इसी साल फरवरी में अमेरिका के कई इलाकों में पड़ी भीषण ठंड को ध्रुवीय क्षेत्रों में हो रहे बदलावों से जोड़ा गया है. उस शीत लहर के दौरान टेक्सस में बड़े पैमाने पर बिजली भी चली गई थी, 170 से ज्यादा लोग मारे गए थे और कम से कम 20 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था.

कमजोर होते पोलर वोर्टेक्स सामान्य रूप से पोलर वोर्टेक्स बर्फीली हवाओं को आर्कटिक में ही फंसाए रखता है, लेकिन थोड़ी गर्म हवाएं वोर्टेक्स को कमजोर कर देती हैं जिसकी वजह से बर्फीली हवाएं और फैल जाती हैं और दक्षिण की तरफ बह जाती हैं. इस अध्ययन के मुख्य लेखक जूडाह कोहेन का कहना है कि 1980 के दशक के बाद एक साल के अंदर पोलर वोर्टेक्स के कमजोर होने की घटनाएं दोगुना बढ़ी हैं. कोहेन बोस्टन के करीब स्थित एटमोस्फियरिक एनवायरनमेंटल रिसर्च नाम की कंपनी में सर्दियों के तूफान के विशेषज्ञ हैं. कोहेन कहते हैं, “यह सोचने में थोड़ा उल्टा लगता है कि तेजी से गर्म हो रहे आर्कटिक की वजह से टेक्सस जितनी दूर किसी जगह पर भीषण ठंड बढ़ सकती है, लेकिन हमारे विश्लेषण से यही सबक मिला है कि जब जलवायु परिवर्तन की बात आती है तो आपको चौंकाने वाली घटनाओं के लिए तैयार रहना चाहिए” जलवायु वैज्ञानिकों के बीच अभी भी इस बात पर बहस चल रही है कि क्या सही में ग्लोबल वॉर्मिंग इस तरह की घटनाओं पर असर डाल रही है

उन्हें यह तो मालूम है कि ग्लोबल वार्मिंग से ठंडे दिनों की कुल संख्या तो कम हो रही है, लेकिन वो यह अभी भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इससे और भीषण ठंड की घटनाएं हो रही हैं या नहीं. आर्कटिक के गर्म होने का असर कोहेन का अध्ययन पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें वातावरण में हो रहे बदलाव का इस्तेमाल एक ऐसी घटना की वजह पता लगाने के लिए किया गया हो जिसे अभी तक समझा नहीं जा सका था. पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में जलवायु वैज्ञानिक माइकल मान कहते हैं कि कोहेन के अध्ययन से “जो हो रहा है उसकी एक संभावित रूप से ज्यादा सरल विवेचना” सामने आई है. मान इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे. कोहेन यह दिखा पाए कि खुद आर्कटिक के अंदर तापमान के गर्म होने में नाटकीय अंतर हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि पोलर वोर्टेक्स कितना फैलेगा और कमजोर होगा. जब इंग्लैंड के उत्तर और स्कैंडिनेविया के इर्द गिर्द का इलाका साइबेरिया के इर्द गिर्द के इलाके से ज्यादा गर्म हो जाता है, तो इससे पोलर वोर्टेक्स पूर्व की तरफ फैलता है. इसके साथ ही ठंडी हवा साइबेरिया के उत्तर से चल कर ध्रुवीय इलाके के ऊपर से होते हुए अमेरिका के केंद्रीय और पूर्वी हिस्सों में पहुंच जाती है.

केप कॉड स्थित वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर में जलवायु वैज्ञानिक जेनिफर फ्रांसिस का कहना है, “फरवरी 2021 का टेक्सस कोल्ड ब्लास्ट” बदलते हुए आर्कटिक और कम ऊंचाई वाले स्थानों में आ रहे “कोल्ड ब्लास्ट” के बीच के संबंध का “एक पोस्टर चाइल्ड” है. फ्रांसिस ने आर्कटिक से संबंध वाले सिद्धांत को सामने लाने में मदद की थी, लेकिन वो भी कोहेन के अध्ययन का हिस्सा नहीं थीं. उन्होंने कहा, “इस अध्ययन ने इस संबंध को विवादास्पद अवधारणा से अविवादित विज्ञान की तरफ मजबूती से ले जाने का काम किया है”

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