नई दिल्ली- भारत में नियुक्त ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने बृहस्पतिवार को कहा कि ब्रिटेन की सरकार भगोड़े कारोबारी Vijay Mallya के प्रत्यर्पण के लिए कोई निश्चित समय सीमा मुकर्रर नहीं कर सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटिश सरकार अपराधियों को राष्ट्रीय सीमा पार कर न्याय से बच कर नहीं भागने देने के लिए कटिबद्ध है।
ऑनलाइन प्रेस वार्ता में जब ब्रिटिश उच्चायुक्त से पूछा गया कि क्या Mallya ने ब्रिटेन में शरण मांगी है। इस पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस तरह के मसलों पर कभी टिप्पणी नहीं करती है। ब्रिटेन की सरकार और अदालतें लोगों के दूसरे देश भागने से रोकने की अपनी भूमिका समझती हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि देश छोड़कर के अपराधी न्याय के दायरे से बच न पाएं।
फिलिप बार्टन ने कहा कि माल्या का प्रत्यर्पण एक कानूनी मामला है। ब्रिटेन की सरकार इस बात से वाकिफ है कि यह मामला भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ब्रिटिश उच्चायुक्त का यह बयान भारत के उस आग्रह के बाद सामने आया है जिसमें ब्रिटेन से अनुरोध किया गया है कि वह Mallya के शरण मांगने की किसी भी अपील पर विचार नहीं करे।
मालूम हो कि बीते दिनों ब्रिटेन सरकार ने संकेत दिया था कि Mallya को निकट भविष्य में भारत प्रत्यर्पित किए जाने की संभावना बहुत कम है। ब्रिटिश सरकार ने कहा था कि यह एक कानूनी मसला है जिसे प्रत्यर्पण से पहले हल किए जाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि Mallya मार्च 2016 से ब्रिटेन में है। उसने भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसमें उसे नाकामी हाथ लगी थी।
एलएसी पर भारत-चीन द्वारा तनाव घटाने के प्रयासों का ब्रिटेन ने स्वागत किया है। लेकिन साथ ही ब्रिटिश उच्चायुक्त ने एलएसी पर व हांगकांग में चीनी कार्रवाई और शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चीन की कुछ कार्रवाइयों से उत्पन्न चुनौतियों से ब्रिटेन परिचित है और अमेरिका जैसे अपने करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर उनसे निपटने पर काम कर रहा है।