पेगासस जासूसी मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह इस मामले पर हलफनामा दायर नहीं करेगी। कोर्ट ने केंद्र के इस रवैये पर नाराजगी जताई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमना सख्त नजर आए। उन्होंने कहा कि कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर सरकार इस मामले पर क्या कर रही है। कोर्ट ने कहा कि अब हमें ही आदेश देना होगा। दरअसल, इससे पहले हुई सुनवाई में केंद्र ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दो बार समय लिया था, लेकिन अब उसने सीधे तौर पर इनकार कर दिया।
केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वह विस्तृत हलफनामा दायर करने का इच्छुक नहीं है. केंद्र ने चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच से कहा कि उसके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है. यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे संबंधित जानकारी को हलफनामे का हिस्सा बनाना राष्ट्रहित में नहीं होगा. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी.
इस पर, पीठ ने मेहता से कहा कि यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वह नहीं चाहते कि सरकार ऐसी कोई भी जानकारी का खुलासा करे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो. मामले में सुनवाई अभी चल रही है. ये याचिकाएं सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइल के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी की खबरों से संबंधित है.
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था.