Priest Murder Case

पुजारी को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने के मामले में फस गयी गहलोत सरकार

लाल वैष्णव को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जलाने और मौत के मामले को लेकर Ashok Gehlot सरकार चारों तरफ से घिर गई है। गहलोत सरकार इस कदर दबाव में है कि किसी भी मंत्री को शव के साथ धरना देकर बैठे रहे मृतक के परिजनों व ग्रामीणों को मनाने के लिए नहीं भेजा जा सका। सरकार तक खुफिया रिपोर्ट पहुंची थी कि यदि कोई मंत्री या कांग्रेस का विधायक मौके पर पहुंचा तो माहौल बिगड़ सकता है। इस घटनाक्रम से एक तरफ गहलोत सरकार जहां BJP व सामाजिक संगठनों के निशाने पर है। वहीं दूसरी तरफ, राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री को फोन कर हालात की जानकारी ली।

राज्यपाल ने पुजारी को जिंदा जलाने की घटना पर चिंता जताते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को बताया कि घटना पर राज्य सरकार ने संज्ञान लिया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल पुजारी को जलाने और बाड़मेर में नाबालिग के साथ दुष्कर्म सहित अन्य मामलों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजेंगे।


BJP ने सरकार को घेरा

हाथरस मामले को लेकर बयान दे रहे गहलोत पर टिप्पणी करते हुए BJP के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि उन्हे अन्य राज्यों के स्थान पर पहले खुद का घर संभालना चाहिए। पूनिया ने कहा कि गृह विभाग का जिम्मा संभाल रहे CM गहलोत पूरी तरह से फेल साबित हो रहे हैं। उन्होंने पूछा क्या कांग्रेस के पास पूर्णकालिक गृहमंत्री बनने योग्य नेता नहीं है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यर्द्धन सिंह राठौड़ ने घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई। गहलोत देश की राजनीति करते हैं, लेकिन प्रदेश नहीं संभाल पा रहे। मामले की जांच के लिए BJP की ओर से गांव भेजी गई टीम में शामिल राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, सांसद रामचरण बोहरा व जितेंद्र मीणा ने कहा कि घटना पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने मृतक के परिजनों को तीन लाख की सहायता देते हुए कहा कि सरकार विप्र समाज के हितों की रक्षा करने में नाकाम साबित हो रही है।


परिजनों की आंखों देखी

मृतक के भतीजे ललित ने बताया कि दबंगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने के बाद उन्हें वहीं पटक दिया। आग में जलते पुजारी इधर-उधर भागते रहे। दबंग मौके से फरार हो गए। ग्रामीणों ने आग बुझाई, लेकिन तब तक वे काफी जल चुके थे। आनन-फानन में पुजारी को उपचार के लिए सपोटरा अस्पताल ले जाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने पुजारी को करौली के लिए रेफर कर दिया। करौली में जब ज्यादा हालत बिगड़ने लगी तो जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया, जहां उपचार के दौरान मौत हो गई। सवाई मानसिंह अस्पताल से पहले परिजन जयपुर के ही प्राइवेट महात्मा गांधी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उपचार से इनकार कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि वे 90 फीसदी तक जल चुके हैं।


ग्रामीणों का कहना है कि विवाद लंबे समय से चल रहा था। पुजारी और विरोधी ने स्थानीय पटवारी व पुलिस थाने में रिपोर्ट दी थी, लेकिन दोनों ने ही इस मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई। “दैनिक जागरण” से बातचीत में ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन सही समय पर कदम उठाता तो यह घटना नहीं होती । गांव के 70 वर्षीय रामलखन ने कहा कि दबंग मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। दबंगों ने जमीन पर झोपड़ी बना ली थी। दूसरी झोपड़ी बनाने जा रहे थे। इसकी जानकारी मिलने पर पुजारी बाबूलान वैष्णव ने विरोध किया। दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ा तो आवाज सुनकर ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे। इसी बीच अचानक दबंगों ने पुजारी पर पेट्रोल डाल दिया।

सोहन लाल और रामधन का कहना है किकई महीनों से विवाद चल रहा था। गांव के पंचों ने बैठकर विवाद का निपटारा किया था। ग्रामीणों ने मंदिर की पूजा करने वाले पुजारी को अपनी तरफ से जमीन खेती के लिए दी थी, लेकिन दबंगों की नजर उस जमीन पर थी। राजस्व रिकॉर्ड में भी यह जमीन मंदिर माफी के नाम से दर्ज है। ग्रामीणों ने कई बार पटवारी और उपखंड अधिकारी ओमप्रकाश से कहा था कि मामले का हल निकालना चाहिए, लेकिन उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं ली।


मंदिर की पूजा कर पेट पालता है पुजारी परिवार

मृतक पुजारी का परिवार मंदिर में सेवा-पूजा कर के ही पेट पालता है। मंदिर से जुड़ी जिस जमीन को लेकर विवाद चल रहा है, उस पर पुजारी परिवार की तरफ से पिछले साल तक बाजरे की खेती की जाती थी। लेकिन इस बार दबंगों ने खेती नहीं करने दी। पुजारी के पड़ोसी रमेश ने बताया कि मंदिर में ग्रामीण जो चढ़ावा चढ़ाते हैं, उसी से परिवार पेट पालता है। खेती से भी थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है।

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