सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बाकी बचे 1,200 पेड़ों की कटाई रुक गई है। आरे कॉलोनी में मेट्रो शेड बनाने के लिए कुल 2,700 पेड़ काटने की योजना है। इससे पहले आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए पेड़ों की कटाई के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। रिपोर्टों की मानें तो शुक्रवार को उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद रात को नौ बजे के बाद दो घंटे के भीतर मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (MMRCL) ने इलेक्ट्रिक मशीन से 450 पेड़ों को काट दिया था ।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ता, छात्र और स्थानीय लोग पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। छात्रों की ओर से अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दलीलें रखीं। पीठ ने कहा कि आरे वन ना तो विकास क्षेत्र है और ना ही इको सेंस्टिव जोन है, जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा कि हमें बताएं कि यह इलाका क्या एक इको सेंस्टिव जोन है या नहीं! हम इसकी वास्तविकता जानना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं को अब तक रिहा नहीं किया गया है उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि सभी को तत्काल प्रभाव से रिहा कर दिया जाएगा। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक यथास्थिति बहाल रखी जाए। अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
इस मामले में सियासत भी तेज हो गई है। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने पार्टी नेता प्रियंका चतुर्वेदी समेत अन्य प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने ट्विट कर कहा था कि वैश्विक मंचों पर पर्यावरण बचाने के पक्ष में तमाम बातें की जा रही हैं लेकिन आरे कालोनी में इकोसिस्टम तबाह किया जा रहा है। यही नहीं तमाम नेता राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना भी कर रहे हैं। फिलहाल, भाजपा ने बचाव में कहा है कि मुख्यमंत्री तो केवल हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करा रहे हैं।