कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण देश में Lockdown है। बंद के कारण से देश के कोने-कोने में रह रहे प्रवासी Laborers को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। Lockdown के पहले चरण से लेकर हाल तक दिल्ली, मुंबई जैसा महानगरों से प्रवासियों के पैदल घरवापसी की तस्वीरें सामने आती रही है। इतना ही नहीं घर लौटने के दौरान कई Laborers की विभिन्न दुर्घटनाओं में जान भी चली गई। हाल ही में रेल की पटरी पर सो रहे Laborers की ट्रेन से कटने से मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना ने देश को झकझोर दिया था।
देश के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी Laborers की दयनीय हालत और उनकी समस्या पर SC ने बीते मंगलवार को स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह ने केन्द्र, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजते हुए 28 मई तक जवाब देने के लिए कहा था। कोर्ट ने पूछा था कि उनकी स्थिति में सुधार के लिए आखिर क्या कदम उठाए गए हैं।
SC ने प्रवासी मजदूरों पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘पैदल चल रहे Laborers को जल्द आश्रय स्थल पर ले जाएं और उन्हें सारी सुविधाएं दें।’कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें इस बात की चिंता है कि प्रवासी Laborers को घर वापस जाने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमने नोटिस किया है कि रजिस्ट्रेशन की प्रकिया, ट्रांसपोटेशन के साथ-साथ उनके खाने-पीने के इंतजाम में काफी खामियां हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रवासी Laborers को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
SC ने इस मामले में सुनवाई 28 मई तय की थी। इस मामले पर आज सुनवाई जारी है। इस दौरान केंद्र ने कोर्ट से कहा कि अभी तक 91 लाख प्रवासियों को उनके घर भेजा जा चुका है। इनमें से 80 प्रतिशत के करीब बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं। प्रवासी Laborers को घर पहुंचाने के लिए रेलवे लगातार ट्रेनें चला रही है। अभी तक लगभग 50 लाख Laborers को उनके घरों तक पहुंचाया गया है। इसके साथ सही सरकार का कहना है कि उसने लाखों Laborers के खाते में पैसे भी भेजे हैं।