चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। रक्षा मंत्री के इस यात्रा के दौरान भारत रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की जल्द से जल्द आपूर्ति करने की मांग करेगा। भारत की ओर से यह आग्रह ऐसे समय की जा रही है जब चीन के साथ एलएसी पर विवाद गहरा गया है। इसका पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है जिसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। रूस द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है।
इस मिसाइल सिस्टम को जमीन से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। यह सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट कर सकता है। इसके तीन प्रमुख अंग हैं। मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर। इसमें लगा हुआ रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है।
दूर तक मार करने की क्षमता की वजह से इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। S-400 दुश्मन के सभी हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है और यह जमीन में लड़ रहे सैनिकों की मदद भी रोक सकता है।
2007 में इसका पहली बार इस्तेमाल मॉस्को की रक्षा के लिए किया गया था। इसके लॉन्चर से 48N6 सीरीज की मिसाइलें लॉन्च की जा सकती हैं जिनके जरिए बड़ी तबाही मचाई जा सकती है। S-400 का सबसे पहले साल 2007 में उपयोग हुआ था जो कि S-300 का अपडेटेड वर्जन है। इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है। इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है। चीन के पास यह रक्षा प्रणाली पहले से मौजूद है।
कितना खतरनाक है S-400 मिसाइल सिस्टम
इस मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है जिसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से पुकारा जाता है। यह लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है जिसे रूस ने बनाया है। S-400 का सबसे पहले साल 2007 में उपयोग हुआ था जो कि S-300 का अपडेटेड वर्जन है।
साल 2015 से भारत-रूस में इस मिसाइल सिस्टम की डील को लेकर बात चल रही है। कई देश रूस से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है।
इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है। अलग-अलग काम करने वाले कई राडार, खुद निशाने को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण S-400 की दुनिया में काफी मांग है। इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है।
S-400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है. S-400 मिसाइल प्रणाली ‘S-300’ का एक उन्नत संस्करण है। इसे रूस की अल्माज केंद्रीय डिजाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित किया गया था। यह मिसाइल प्रणाली रूस में 2007 से ही सेवा में है और इसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। … वहीं, 36 परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों को एकसाथ नष्ट कर सकता है।
S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप सकता है और अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को दाग सकता है।
रूस के साथ S-400 डील होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश है जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम होगा। इसके पहले चीन और तुर्की के साथ रूस यह डील कर चुका है। सऊदी अरब के साथ भी इस मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर बात चल रही है।
इस डील को लेकर पाकिस्तान ही नहीं चीन भी काफी चिंतित है। अभी हाल में वहां के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने रूस के साथ इस डील को बड़ी परेशानी बतायाv चौधरी ने कहा, ‘भारत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ कर रहा है। रूस के भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं लेकिन पाकिस्तान भी रूस के करीब आ रहा हैv इसलिए रूस को केवल भारत के साथ ही यह डील दांव पर नहीं लगानी चाहिए।’