बिहार का रण: तेजप्रताप के किसी भी ‘बगावती’ तेवर को रोकने में जुटी RJD

चुनाव आयोग ने इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही अभी तक तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन बिहार में राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गई है। इस बीच, राज्य का प्रमुख विपक्षी दल लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए किसी भी तरह से पार्टी में विरोध को लेकर सजग दिख रहा है। खासकर, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के अपने समर्थकों को टिकट की मांग को लेकर पार्टी किसी तरह के ‘रिस्क’ लेने के मूड में नहीं है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप ने 3 क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्हें बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतार दिया था। इस चुनाव में पार्टी इस प्रकार के किसी भी स्थिति से बचना चाह रही है।

RJD के सूत्रों का कहना है कि तेजप्रताप इस चुनाव में महुआ की बजाय समस्तीपुर के हसनपुर सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि पिछले सप्ताह तेजप्रताप ने इसके लिए रांची जाकर अपने पिता लालू प्रसाद से भी मुलाकात की थी और अपनी स्थिति स्पष्ट की है। इधर, RJD के सूत्र कहते हैं कि तेजप्रताप अपने 4 समर्थकों के लिए भी पार्टी से शिवहर, जहानाबाद, काराकाट और हरनौत से टिकट की मांग कर रहे है। हालांकि लालू प्रसाद ने तेजप्रताप की इन मांगों पर क्या कहा, इसका पता अभी नहीं चल पाया है।

लालू प्रसाद के दूसरे बेटे और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी में किसी प्रकार के विवाद से बचना चाह रहे हैं। कहा जा रहा है कि शनिवार को तेजस्वी ने तेजप्रताप के घर पहुंचकर रात्रि में खाना खाया और कई मुद्दों पर बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि तेजप्रताप ने पिताजी के संदेश भी तेजस्वी को बताए।

गौरतलब है कि तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि ऐश्वर्या तेजप्रताप के विधानसभा क्षेत्र महुआ से भी चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। इस बीच तेजप्रताप के ससुर और विधायक चंद्रिका राय ने भी RJD को छोड़कर JDU का दामन थाम लिया है। RJD के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि RJD के नेता से कार्यकर्ता तक तेजस्वी यादव के साथ है, लेकिन लोकसभा चुनाव की तरह तेजप्रताप का विरोध उभर गया तो पार्टी को परेशानी होगी।

RJD नेता का कहना है कि लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी-तेजप्रताप की जोड़ी पर ही RJD को बिहार में सत्ता वापसी कराने का दारोमदार है। इस दौर में अगर दोनों भाईयों में तालमेल गड़बड़ाया तो पार्टी को मुश्किल होगी। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि तेजप्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी को शुरू से ही ‘अर्जुन’ बताते रहे हैं और माना जा रहा है कि लालू ने दोनों भाईयों को चुनाव में एक साथ ही काम करने और पार्टी को मजबूत करने का टास्क दिया है।

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