Rift in SP Alliance

Rift in SP Alliance: हार के लिए कौन जिम्मेदार? अखिलेश यादव की चुप्पी के बीच सपा गठबंधन में खटपट

RIft in SP alliance: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन को मिली करारी हार के बाद जहां समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुप्पी साधे हुए हैं तो गठबंधन के साथी अब एक-दूसरे पर दोष मढ़ने लगे हैं। महान दल के अध्यक्ष ने कहा है कि गठबंधन के कुछ अति आत्मविश्वास में थे और उन्होंने अखिलेश यादव को भी ओवर कॉन्फिडेंस में रखा। वहीं अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने संगठन में खामियों को हार के लिए जिम्मेदार बताकर इशारों में भतीजे पर निशाना साध दिया है।

इस चुनाव में सपा गठबंधन के साथ रहे महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य ने भी हार के बाद उन नेताओं पर सवाल उठाए हैं जो जीत के बड़े-बड़े दावे कर रहे, लेकिन नतीजों ने उनकी पोल खोल दी। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ”गठबंधन के कुछ नेता बहुत हवा बना रहे थे। उनके पास खुद अपना वोट नहीं था, लेकिन वह दवे करते रहे। वे खुद तो अति आत्मविश्वास में थे ही अखिलेश यादव को भी इसी में रखा।” जब उनसे पूछा गया कि किसकी ओर इशारा कर रहे हैं तो मौर्य ने कहा कि इसमें गठबंधन के सभी साथी शामिल हैं।

सपा से गठबंधन में महज एक सीट पाने वाले शिवपाल यादव ने भी खामियों की ओर इशारा करना शुरू कर दिया है। संगठन में खामियों की बात कहकर उन्होंने सीधे सपा अध्यक्ष और गठबंधन के कैप्टन अखिलेश यादव की ओर अंगुली उठा दी है। एक ही सीट मिलने को लेकर चुनाव के बीच अपना दर्द जाहिर कर चुके शिवपाल यादव ने कहा, ”अखिलेश यादव के नेतृत्व में गठबंधन बना, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला है, तो इसमें कहीं ना कहीं खामियां रही हैं। कहीं ना कहीं कुछ खामियां रह जाती हैं, उस पर हम सभी लोगों को चिंतन करना है। समीक्षा करनी है। फिर आगे काम करेंगे। चुनाव हमेशा संगठन के बल पर ही जीता जाता है, तो कहीं ना कहीं संगठन में खामियां हो जाती हैं।”

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस हार को पचाकर सभी गठबंधन साथियों का साथ बने रहना मुश्किल है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में जब हार पर मंथन होगी तो गठबंधन के साथी एक दूसरे पर दोष मढ़ेंगे और ऐसे में बिखराव हो सकता है। अखिलेश यादव की चुप्पी से संकट और बढ़ सकता है। वहीं, सपा के कुछ नेता अब दबी जुबान में कहने लगे हैं कि कुछ नेताओं के बड़बोलेपन ने नुकसान पहुंचाया। 2017 और 2019 में सपा ने कांग्रेस और बसपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन हार के तुरंत बाद गठबंधन की गांठें खुल गईं। ऐसे में इस बार भी पुराने अंजाम से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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