कड़ा कानून बनने से झारखंड में थम गया धर्मांतरण

झारखंड में धर्मांतरण के आंकड़ों में तेजी से कमी आई है। धर्मांतरण के बड़े आंकड़ों को लेकर देशभर में सुर्खियों में रहने वाले झारखंड में सितंबर, 2017 में धर्म स्वतंत्र कानून (झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017) के लागू हो जाने के बाद से राज्य में धर्मांतरण में अचानक से थम गया है। धर्म परिवर्तन के मामले एकाएक खत्म हो गए हैं। सिमडेगा, गुमला, खूंटी, कोडरमा सहित झारखंड के दूसरे प्रमुख जिलों में धर्मांतरण के आंकड़ों में कई आई है।

सितंबर, 2017 से लेकर अब तक की अवधि में जिला उपायुक्तों के पास धर्म परिवर्तन के लिए दिए गए आवेदनों की संख्या ना के बराबर है। सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा और खूंटी में जहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के धर्मांतरण की बात पहले सामने आती थी, वैसा अब बिलकुल नहीं है। ये आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं। इस दौरान सिमडेगा और गुमला में गिनती के कुछ आवेदन आए तो वहीं सिमडेगा तो धर्मांतरण का गढ़ ही बन गया था।

वहीं, अन्य जिलों की बात करें तो इक्का-दुक्का आवेदन भी उपायुक्तों के पास नहीं पहुंचे। कानून लागू होने के बाद से गुमला जिला में धर्मांतरण के लिए कुल 35 लोगों ने उपायुक्त को आवेदन देकर अनुमति मांगी है। जांच प्रतिवेदन अपर्याप्त होने के कारण अब तक किसी को अनुमति नहीं मिली है। धर्मांतरण के लिए प्रदेश भर में सबसे अधिक चर्चित रहने वाले सिमडेगा में कानून लागू होने के बाद धर्म परिवर्तन के लिए सिर्फ आठ आवेदन उपायुक्त कार्यालय आए, जबकि आवेदन करने वाले मंजूरी लेने के लिए दोबारा उपायुक्त कार्यालय पहुंचे ही नहीं।

जांच पूरी न होने से अब तक किसी को अनुमति नहीं मिली है। उपायुक्त कार्यालय के अनुसार संबंधित फाइल प्रक्रियाधीन है। पलामू के उपायुक्त शांतनु कुमार अग्रहरि का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर जिले से कोई भी आवेदन उनके पास नहीं आया है। वहीं गढ़वा के उपायुक्त हर्ष मंगला ने बताया कि प्रशासन को कोई आवेदन नहीं मिला है।

दरअसल, धर्म स्वतंत्र विधेयक लागू होने के बाद बिना अनुमति धर्मांतरण करने वाले और धर्मांतरण करवाने वाले को चार साल की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। धर्म परिवर्तन करने से पहले उपायुक्त को आवेदन देकर अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। धर्मांतरण के लिए होने वाले संस्कार या समारोह के लिए भी जिला उपायुक्त से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में किसी भी तरह के प्रलोभन या कपट आदि युक्तियों के बूते धर्मांतरण कराने के चलन पर प्रभावी लगाम लगती दिख रही है।

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