रामपुर में होगी असली सियासी जंग, आज़म खां बचा पाएंगे अपना किला ?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा उप चुनावों में रामपुर सीट पर असली सियासी जंग होगी। नौ बार विधायक रह चुके आजम खां का मजबूत किला माने जाने वाले रामपुर की जनता पर सबकी निगाहें लगी हैं। वहां होने वाले उपचुनाव के लिए बसपा और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी हैं, लेकिन भाजपा व सपा के पत्ते खुलने अभी बाकी हैं। ताबड़तोड़ मुकदमों में घिरे आजम के लिए सीट बचाना जितना महत्वपूर्ण है, उससे भी अधिक समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोटरों में पकड़ बनाए रखने की परीक्षा देनी होगी।

वहीं बहुजन समाज पार्टी के लिए भी करो या मरो जैसे हालात होंगे, क्योंकि पहली बार उपचुनाव में उतरने वाली मायावती के लिए दलित मुस्लिम फार्मूले को परखने का मौका है। दूसरी ओर कांग्रेस भी रामपुर के जरिये प्रदेश में वापसी का रास्ता बनाना चाहती है। 

रामपुर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक होने के कारण सभी गैर भाजपा पार्टिंयां यहां अपनी उपस्थिति जताने के लिए ताकत लगा रही हैं। कांग्रेस ने अरशद अली खां गुड्डू और बसपा ने जुबैर मसूद खां को टिकट देकर मुस्लिम वोटरों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का दांव चला है।

बसपा का दलित-मुस्लिम फार्मूला

मायावती ने कस्टम विभाग के पूर्व अधिकारी जुबेर मसूद खान को टिकट दिया है। एक पूर्व कोआर्डिनेटर कहते हैं कि बसपा के लिए इस बार अच्छा मौका है, क्योंकि भाजपा को जीतने से रोकने के लिए दलित-मुस्लिम समीकरण ही मजबूत दिखता है। हालांकि बसपा का गणित कांग्रेस द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी को उतार देने से गड़बड़ाता दिखता है। सूत्रों का दावा है कि इस बार मुस्लिम वोटर चतुराई से वोट करेगा। ऐसे में मुस्लिमों में विभाजन की उम्मीद लगाना बेमानी साबित हो सकता है क्योंकि भाजपा को हराना लक्ष्य बना तो एक पक्षीय मतदान होगा।

पसोपेश में सपा

कांग्रेस और बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी घोषित करने के बाद सपा की उलझन और बढ़ गई है। पूर्व सांसद डिंपल यादव को रामपुर से लड़ाने का रिस्क पार्टी नहीं लेगी, क्योंकि पिछले दिनों अखिलेश की रामपुर यात्रा में स्थानीय लोगों की भीड़ नहीं जुट पाने को खतरे की घंटी माना जा रहा है। उधर, मुकदमों में फंसे आजम खां गिरफ्तारी के डर से सीधे चुनाव प्रचार में उतरने से बचेंगे। ऐसे में डिंपल को प्रत्याशी बनाने का जोखिम सपा नहीं ले सकती है। पार्टी में एक खेमा आजम के बड़े पुत्र की पत्नी को उम्मीदवार बनाने की पैरोकारी में जुटा है ताकि लोगों की सहानुभूति का लाभ मिल सके।


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