श्रीलंका के गृहयुद्ध में लापता 20 हजार लोगों की मौत, राष्‍ट्रपति ने दी जानकारी

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कहा है कि देश में गृहयुद्ध के दौरान लापता हुए 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। UN की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर हाना सिंगर के साथ हुई बैठक के दौरान राजपक्षे ने यह बात कही। इस बैठक के बाद राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया कि लोगों के लापता होने के पीछे की मुख्य वजह आतंकी संगठन लिट्टे था। वर्तमान सरकार अब इन लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की पहल करेगी। श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों और सरकार के बीच करीब तीन दशक तक गृहयुद्ध चला था। 2009 में कड़ी सैन्य कार्रवाई के बाद यह युद्ध खत्म हुआ था। इस गृहयुद्ध में करीब एक लाख लोग मारे गए थे। 20 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं।

इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की अगुआई वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। 2009 की सैन्य कार्रवाई की कमान तत्कालीन रक्षा मंत्री गोतबाया के हाथ में थी। उन पर युद्ध अपराध जैसे गंभीर आरोप भी लगे थे। श्रीलंकाई सरकार ने 18 मई, 2009 को मुल्लाईतिवु के एक तटीय गांव में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन को मारकर इस युद्ध का अंत किया था। यह गृहयुद्ध मुख्य रूप से इस द्वीपीय राष्ट्र के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में लड़ा गया। तीन दशक से भी अधिक लंबे समय तक चले संघर्ष में कम से कम 100,000 लोग मारे गए थे। युद्ध के बाद भी सुरक्षाकर्मियों सहित 20 हजार लोगों के लापता होने की खबर थी।

कोलंबो गजट की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर युद्ध के एक दशक बाद भी पीड़ितों को न्याय दिलाने में विफल रहने का आरोप लगाया था।

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