COVID-19 ने देश के समक्ष अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियां पेश की हैं और माना जा रहा है कि इससे निपटने के लिए सरकार की तरफ से घोषित होने वाला दूसरा पैकेज भी कुछ ऐसा ही होगा। शनिवार को PM नरेंद्र मोदी की गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मौजूदा महामारी से बुरी तरह से प्रभावित आर्थिक क्षेत्रों की दशा पर हुए विमर्श से कुछ ऐसा ही संकेत मिलता है।
वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक में चुनौतियों के साथ ही CORONA महामारी से बने वैश्विक माहौल में उपजे अवसरों पर भी चर्चा हुई है। ऐसे में भावी पैकेज एक तरफ जहां घरेलू मांग को लेकर उपजी चिंताओं का निवारण करेगा वहीं भारतीय उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने में भी मददगार साबित होगा।
शनिवार को PM ने कृषि क्षेत्र और छोटे व मझोले उद्योग सेक्टर पर अलग से बैठक बुलाई थी। इसके पहले शुक्रवार को उन्हें गृह मंत्री, वित्त मंत्री के साथ बिजली मंत्री, श्रम मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री के साथ अलग-अलग बैठक भी की थी। उसके पहले यानी गुरुवार को देश में निवेश के माहौल को सुधारने और भारत को देशी व विदेशी निवेशकों का पसंदीदा स्थल बनाने के उपायों पर भी PM ने एक बैठक की थी। इस तरह से पिछले तीन दिनों में उन सभी सेक्टरों पर मंत्रालयवार मशविरा हो चुका है जिन पर COVID-19 की वजह से सबसे ज्यादा चुनौतियां पैदा हुई है।
सूत्रों का कहना है कि उक्त बैठकों में LOCKDOWN से प्रभावित इकोनोमी के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि प्लानिंग के विकल्पों पर कई सुझावों पर विमर्श किया गया है। भावी पैकेज को अंतिम रुप देने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे बदलावों को भी ध्यान रखा जाएगा। इस संदर्भ में कई देशों में स्थित भारतीय मिशनों ने भी अपनी अपनी रिपोर्ट विदेश मंत्रालय के जरिए सरकार तक भिजवाई है।
ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका, जापान, यूरोप की कंपनियों के बीच नए वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग स्थल की तलाश तेज होगी। ऐसे में भारत के पास मौका है कि इन देशों की कंपनियों को अपने यहां आकर्षित कर सके। माना जा रहा है कि भारत की इस बारे में जापान व अमेरिका जैसे देशों के साथ वार्तालाप भी हो रहा है ताकि कुछ देशों का अपना स्पेशल सप्लाई चेन विकसित हो सके।