लॉकडाउन में खाई लाठियां, गरीबों को नही होने दी भोजन की कमी

कोरोना जैसी महामारी और लॉकडाउन के किस्से लंबे समय तक लोगों की यादों में ताजा रहेंगे, लेकिन खामोशी और डर के इस दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने गरीबों और बेसहारा लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए पुलिस की लाठियां भी सह लीं। कानपुर के सामाजिक संगठन अखिल भारतीय ओमर-ऊमर वैश्य महासभा के कार्यकर्ता ऐसे ही हैं, जिन्होंने 25 मार्च से 17 मई के बीच 2 लाख लंच पैकेट बांटे।

संगठन से जुड़े धर्मप्रकाश गुप्ता के अनुसार, संगठन से जुड़े अपने घर से खाना बनाकर गरीबों को बांट रहे थे। इस बात ने संगठन के युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया और बिरहाना रोड के ज्ञान भारती बालिका इंटर कॉलेज में इकट्ठा होकर भोजन बनाया गया। संगठन के अंदर बने छोटे-छोटे अन्य संगठनों की मदद से शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रतिदिन करीब 1500 तक खाने के पैकेट बांटे गए। जरूरत के हिसाब से लोगों को सूखा राशन भी दिया गया। श्यामबाबू गुप्ता के अनुसार, लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में सुबह सब्जी खरीदने के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने लाठी भी मार दी, लेकिन इसे सेवाकार्य में बाधक नहीं बनने दिया। यह काम कानपुर तक ही सीमित नहीं रहा। कानपुर देहात, फतेहपुर, लखनऊ, बांदा और हमीरपुर में भी समाज के लोगों की मदद से लंच पैकेट वितरण कराया। रामप्रकाश, ओमर, दीपक गुप्ता, श्रीकिशन बब्बू, जगदीश नेहा आदि ने बताया कि लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मुफ्त में होम्योपैथिक दवाओं की शीशियां बांटी जा रही हैं।

अमेरिका से भेजे एक लाख : अमेरिका के कैलिफॉर्निया में रहने वाली हाईस्कूल की छात्राओं आरुषि और अविषी ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए चंदा कर एक लाख रुपये जुटाए और विष्णुपरी असोसिएशन को भेजे। असोसिएशन के उपाध्यक्ष एके सिंह के अनुसार, इस धर्मार्थ संगठन को सेवानिवृत्त लोग चलाते हैं। संगठन ने हर दिन करीब 900 लंच पैकेट बांटे। आरुषि और अविषी अक्सर भारत आती रहती हैं। 

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