पाकिस्तान (Pakistan) में सालाना 1,000 अल्पसंख्यक लड़कियों (Girl From Minority Section) को इस्लाम धर्म (Converted to Islam) अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। बिना सहमति और क़ानूनी रूप से शादी के लिए कम उम्र की लड़कियों को जबरन इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोरोनावायरस में लगे लॉकडाउन के दौरान इन मामलों की संख्या बहुत बढ़ गई है। इस दौरान लड़कियाँ स्कूल नहीं जा रही हैं और परिवार कर्जे के बोझ के तले दबे हुए हैं। लड़कियों के तस्कर इन दिनों अधिक सक्रिय हो गए हैं और इंटरनेट पर लड़कियों को खोज रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने इस महीने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के कारण पैदा हुई चिंता का देश घोषित किया था जिसे पकिस्तान सरकार ने ख़ारिज कर दिया।
अमेरिकी आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर एक समीक्षा करवाई जिसमें यह कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों जैसे हिंदू, ईसाई और सिख समुदायों की कम उम्र की लड़कियों को जबरन इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए अगवा किया गया उसके बाद उनकी जबरदस्ती शादी करवा दी गई और उसके बाद उनके साथ बलात्कार भी हुए। इस्लाम धर्म परिवर्तन करवा दी गई अधिकतर लड़कियां दक्षिणी सिंध प्रांत की गरीब और मजबूर हिन्दू परिवारों की लड़कियां हैं।
लड़कियों को आमतौर पर उनके करीबी रिश्तेदारों या परिचितों या फिर उन लोगों द्वारा अपहरण किया जाता है जो दूल्हन की तलाश में होते हैं। कभी-कभी उन्हें उनके माता-पिता द्वारा कर्ज ना चुका पाने की स्थिति में अमीर जमींदारों को सौंप दिया जाता है। पुलिस इन मामलों में ढीला-ढाला रवैया बरतती है। इस माफिया में इस्लामिक धर्म गुरू, मजिस्ट्रेट, भ्रष्ट पुलिस अपराधियों की सहायता करती है।