गुजरात पुलिस ने बताया है कि जामताड़ा और मेवात के साइबर ठग अब ठगी करने की तरकीब को इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित कर रहे हैं। पुराने साइबर ठग नए उम्र के युवाओं को साइबर ठगी की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वो ट्रेनिंग में सिम क्लोनिंग करना, बैंक से पैसों की धोखाधड़ी करना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से जालसाजी करना सिखा रहे हैं।
ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे सोशल मीडिया
जामताड़ा और मेवात के ये साइबर ठग ट्रेनिंग देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। वो सोशल मीडिया पर अपने ट्रेनिंग का प्रचार कर बेरोजगार युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। ये साइबर ठग मुख्य रूप से टेलीग्राम एप्प पर ठगी की ट्रेनिंग चला रहे हैं।
बढ़ रहा है नेटवर्क
गुजरात पुलिस ने बताया कि राज्य के बनासकांठा जिले के तीन लोग एक सिम क्लोनिंग रैकेट में शामिल थे। इन तीनों ने झारखंड के जामताड़ा में बैंक धोखाधड़ी करने का ट्रेनिंग लिया था। ऐसे ही राज्य में कुछ और साइबर ठगों को गुजरात पुलिस ने पकड़ा है। ऐसे सभी साइबर ठग जामताड़ा या मेवात से ट्रेनिंग लेकर ठगी को अंजाम देते थे।
ट्रेनिंग के लिए लेते हैं फीस
साल 2017-18 में जामताड़ा साइबर ठगी के लिए चर्चा में आया था। पुलिस ने ठगी रोकने के लिए कई सख्त एक्शन लिए। उसके बाद जामताड़ा के ठग वहां से इधर-उधर चले गए। अब वो ठगी के साथ-साथ ठगी की ट्रेनिंग का काम भी शुरू कर चुके हैं। इसके लिए वो फीस भी लेते हैं। ऐसे ठग युवाओं को ठगी तो सिखाते ही हैं साथ ही उन्हें ठगी करने में मदद भी करते हैं। इन सभी कामों के लिए वो कमीशन लेते हैं।
वेस्ट बंगाल से मिल जाता है चोरी का मोबाइल
गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कहा कि वेस्ट बंगाल से इन ठगों को आसानी से फर्जी सिम और चोरी का मोबाइल मिल जाता है। साइबर ठगी करने के बाद ये ठग अपने सिम और मोबाइल को बदल देते हैं। जामताड़ा और मेवात के पुराने साइबर ठग ट्रेनिंग ले रहे नए ठगों को इन सभी गैंग्स के बारे में बताते हैं। इससे नए ठगों को भी फर्जी सिम और चोरी के मोबाइल के बारे में जानकारी मिल जाती है।
नकली पॉर्न वीडियो बनाने की भी ट्रेनिंग
गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेवात के गैंग नकली पॉर्न वीडियो बनाना सिखा रहे हैं। ठग आम लोगों के चेहरों की तस्वीरों से अश्लील फिल्में बना उनसे पैसे की मांग करते हैं। नकली पॉर्न वीडियो बनाने की भी ट्रेनिंग दी जा रही है।
पुराने ठग नए साइबर ठगों से हर एक ठगी का 5-10 % पैसा फीस के तौर पर लेते हैं। पुलिस ने बताया कि ऑनलाइन ठगी सिखाने का सिलसिला कोरोना महामारी के बाद बढ़ गया है।