लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री Nitish Kumar और जदयू के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। उन्होंने खुद को BJP के शीर्ष नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया। लेकिन BJP की ओर से लगातार आ रहे स्पष्टीकरण अपने गठबंधन सहयोगी को दिलासा देने और पार्टी कैडर के बीच जमीनी स्तर पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने का प्रयास है? पिछले कई वर्षों से बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर चौधरी का यही मानना है।
पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक चौधरी ने कहा कि ‘BJP के दृष्टिकोण से चिराग पासवान द्वारा तैयार किए गए भ्रम को दूर करना जरूरी था। भ्रम केवल जेडी (यू) के वोटों के लिए एक संभावित खतरा नहीं था, लेकिन NDA के वोटों के लिए भी दिक्कत हो सकती थी। कई BJP मतदाता ऐसे हो सकते थे जो जमीनी भ्रम की स्थिति में नीतीश के खिलाफ वोट करते। मुझे लगता है कि अमित शाह के बयानों से अब भ्रम समाप्त होना चाहिए और BJP और जद (यू) दोनों को मदद करनी चाहिए।’
किशोर ने कहा – ‘अगर अभी भी जमीन पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, तो नरेंद्र मोदी को रैली में सभी अफवाहों पर पूरी तरह से रोक लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘बात यह है कि BJP महाराष्ट्र नहीं दोहराना चाहती और दोनों दलों के बीच अविश्वास के कारण अपने गठबंधन का साथी खो सकती है। BJP कई राष्ट्रीय मुद्दों पर दबाव में है। पंजाब में उनके सहयोगी ने भी उन्हें छोड़ दिया है। ऐसे BJP नो रिस्क नो गेन की स्थिति में रहना चाहती है। BJP चाहती है कि जो जैसा था वैसा ही बना रहे। इसलिए जैसे-जैसे वे चुनाव में और आगे जाएंगे, BJP नीतीश कुमार के साथ अपना गठबंधन बनाने को मजबूर है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या को लेकर दलित समुदाय के एक वर्ग के गुस्से का सामना करने के बाद BJP भी बैकफुट पर दिख रही है।
इसी मुद्दे पर सचींद्र नारायण सिंह ने कहा कि ‘Nitish Kumar के जद (यू) की हैसियत कम करने के लिए भाजपा लोजपा और प्लुरल पार्टी की अफवाहों को फैलाया जा रहा है। ये स्पष्टीकरण खुला संदेश हैं। आप वही देखेंगे जो आप देखना चाहते हैं। नारायण ने पूछा- ‘कौन कह सकता है कि उनकी मंशा भ्रम बनाने की है या बढ़ाने की।’ कहा कि जिस तरह से BJP कहती है कि ‘नीतीश अगले मुख्यमंत्री होंगे’ से पता चलता है कि वे चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त हैं। अगर ऐसा होता तो वे उनके साथ सहयोगी क्यों थे? मोदी इतनी रैलियां क्यों कर रहे हैं?’
हालांकि एक सच यह भी है कि BJP अपने सहयोगी दल Nitish Kumar से दूरी बनाए रखना चाहती है, जो 15 साल की सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ उन प्रवासी मजदूरों का गुस्से का भी सामना कर रहे हैं जो अभी भी गांवों में ही हैं।