कोरोना महामारी से निपटने के लिए दुनिया भर में चल रहे Lockdown से भारत समेत विश्वभर की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। इससे निपटने के लिए सभी देश अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। पिछले दिनों PM नरेंद्र मोदी ने भी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग बैठक कर उद्योग-धंधों को दोबारा एहतियात के साथ शुरू कराने को लेकर चर्चा की थी। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा था कि भारत के पास ये अच्छा मौका है कि वह चीन से पलायन करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी तरफ आकर्षित करे। PM के इस आव्हान के बाद मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व गुजरात ने अपने लेबर कानूनों में बड़े बदलावों की घोषणा कर दी है।
तीनों राज्यों ने 3 वर्ष के लिए उद्योगों को न केवल लेबर कानून से छूट दी है, बल्कि उनके रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को भी ऑनलाइन व सरल कर दिया है। नए उद्योगों को अभी लेबर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत पंजीकरण कराने और लाइसेंस प्राप्त करने में 30 दिन का वक्त लगता था, अब वह प्रक्रिया 1 दिन में पूरी होगी। इसके साथ ही उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने के लिए शिफ्ट में परिवर्तन करने, श्रमिक यूनियनों को मान्यता देने जैसी कई छूट दी गई हैं। राज्य सरकारों की इन घोषणाओं से एक तरफ उद्योग जगत राहत महसूस कर रहा है तो वहीं श्रमिक संगठन आशंका जता रहे हैं कि इससे कर्मचारियों पर काम का दबाव और बढ़ेगा। आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व गुजरात द्वारा लेबर कानून में किए गए अहम बदलावों और श्रमिकों पर पड़ने वाले उसके असर के बारे में।
जैसा की PM ने चीन से पलायन करने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्रियों का आव्हान किया था, उसी को आधार बनाते हुए राज्य सरकारों ने लेबर कानूनों में बदलाव किया है। इसके पीछे सरकारों का तर्क है कि इन बदलावों से उद्योगों को राहत मिलेगी। साथ ही प्रदेश में नए उद्योगों को लाना आसान होगा। प्रदेश में नए उद्योग आएंगे तो इससे लोगों के लिए रोजगार के नए दरवाजे खुलेंगे। विशेष तौर पर अन्य राज्यों से पलायन कर अपने घरों को वापस लौटने वाले श्रमिकों को उनके गृह जनपद में रोजगार की संभावना बढ़ेगी।
MP के बाद UP सरकार ने 7 मई को लेबर कानूनों में बदलाव की घोषणा की है। UP की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले 1000 दिन के लिए लेबर कानूनों में कई अहम बदलाव किये हैं। UP सरकार ने इसके लिए ‘उत्तर प्रदेश टेंपरेरी एग्जेम्प्शन फ्रॉम सर्टेन लेबर लॉज ऑर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। आइये जानतें हैं कानून में किए गए प्रमुख बदलावों के बारे में…
- संसोधन के बाद UP में अब केवल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996 लागू रहेगा।
- उद्योगों को वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट 1923 और बंधुवा मजदूर एक्ट 1976 का पालन करना होगा।
- उद्योगों पर अब ‘पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936’ की धारा 5 ही लागू होगी।
- श्रम कानून में बाल मजदूरी व महिला मजदूरों से संबंधित प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
- उपर्युक्त श्रम कानूनों के अलावा शेष सभी कानून अगले 1000 दिन के लिए निष्प्रभावी रहेंगे।
- औद्योगिक विवादों का निपटारा, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों का स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संबंधित कानून समाप्त हो गए।
- ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने वाला कानून भी 1000 दिन के लिए खत्म कर दिया गया है।
- अनुबंध श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों से संबंधित कानून भी 1000 दिन के लिए समाप्त कर दिए गए हैं।
- UP सरकार द्वारा लेबर कानून में किए गए बदलाव नए और मौजूदा, दोनों तरह के कारोबार व उद्योगों पर लागू होगा।
- उद्योगों को अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में काम कराने की छूट दी गई है।