विधानसभा चुनाव 2020 में भी चिराग पासवान एनडीए में नहीं थे, लेकिन उन्होंने बीजेपी का समर्थन किया था। उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) ने सिर्फ उन्हीं सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनपर बीजेपी चुनाव नहीं लड़ रही थी। यहां तक कि उस वक्त बीजेपी की सहयोगी रही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। इस कारण नीतीश कुमार से उनकी अनबन भी हुई। ऐसे में चिराग पासवान का बीजेपी के प्रति पर्दे के पीछे वाला प्रेम समय-समय पर छलकता रहता है।
चिराग पासवान के पिता दिवंगत रामविलास पासवान लंबे समय तक एनडीए के साथ रहे। वे नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी थे। अक्टूबर 2020 में उनके निधन के बाद लोकजनशक्ति पार्टी में दरार आ गई। रामविलास पासवान की विरासत को लेकर चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच विवाद हो गया। पशुपति पारस ने पार्टी के सांसदों को अपने गुट में कर दिया और चिराग अलग-थलग पड़ गए। बाद में पशुपति पारस ने राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी और चिराग को लोजपा (रामविलास) नाम से दल बनाया। फिर पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए और चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए।
चिराग ने बताया था खुद को मोदी का हनुमान
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से पहले एनडीए से अलग हुए चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पीएम मोदी की तस्वीर इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। वे मोदी के हनुमान हैं और पीएम की छवि उनके दिल में बसती है। किसी दिन वे अपनी छाती चीरकर दिखा देंगे। इसके बाद से चिराग पासवान को मोदी का हनुमान कहा जाने लगा।