दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। कत नामक महर्षि के पुत्र ऋषि कात्य ने भगवती पराम्बा की उपासना कर उनसे घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की थी। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। इन्हीं कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। कुछ काल के बाद दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया, तब भगवान् ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिये ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा यमुना तट पर की थी। नवरात्र के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में होता है।
कत्यायनी माता पूजा मंत्र
चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी।।
कत्यायनी माता पूजा महत्व…
मान्यता है कि कत्यायनी माता की विधिवत पूजा करने से सभी भौतिक व अध्यात्मिक मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन 30 मार्च, दिन सोमवार को मां कत्यायनी की पूजा की जाएगी। इस दिन खासकर शिक्षा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को पूजा करना चाहिए। नवरात्रि का व्रत रखने वाले लोग भी माता कत्यायनी की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।