मजबूर मजदूरों से हो रही ‘बेईमानी’, अपनी जेब से दे रहे रेल का किराया

प्रवासी मजदूरों (MIGRANT LABOURS ) के लिए चलाई जा रहीं स्पेशल ट्रेनों के किराये को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच असमंजस जारी है, नतीजा बेबस मजदूरों को अभी भी अपनी जेब से ही पैसा भरना पड़ रहा है। मंगलवार और बुधवार को लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर पहुंचे मजदूरों ने बताया कि उन्हें किराये अपनी जेब से ही देना पड़ रहा है। कई मजदूरों ने तो यह भी बताया कि उनसे टिकट के किराये से ज्यादा पैसे वसूले गए हैं।

स्पेशल ट्रेनों से लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर पहुंच रहे अधिकतर मजदूर गुजरात और महाराष्ट्र से हैं। लखनऊ में बुधवार को स्पेशल ट्रेन से लौटे मजदूरों ने बताया कि उन्हें फ्री ट्रेन सफर की सुविधा तो दूर उल्टे निर्धारित से भी ज्यादा किराया अदा करना पड़ रहा है। इसी तरह वडोदरा से कानपुर लौटे मजदूर अब्दुल कादिर को मुजफ्फरनगर जाना है। उन्होंने बताया, ‘टिकट के लिए हमने वडोदरा में 505 रुपया दिया था। वहां पर कहा गया कि तुम्हारी सरकार इसका पैसा देगी। मजबूरी का फायदा उठा लिया गया।’

मजदूरों ने बताया कि क्वारंटीन (QUARANTINE)सेंटर पर उनसे किसी शख्स ने पैसा लिया और टिकट ट्रेन में बैठने से पहले दिया गया। अकोला से आए मजदूरों ने 555 रुपये के टिकट की जगह 675 रुपये प्रति यात्री लेने का आरोप लगाया। इसी तरह अहमदाबाद से गोरखपुर लौटे शिवाकांत शुक्ला ने बताया कि उनसे 690 रुपये किराया लिया गया। उन्होंने बताया कि पूरे रास्ते उन्हें कहीं खाना-पानी नहीं मिला। सिर्फ लखनऊ आकर ही एक जगह व्यवस्था थी। उनके साथी सुभाषचंद्र ने बताया कि उनसे भी 690 दिए किराया वसूला गया। उन्होंने कहा, ‘रास्ते में खाना-पानी भी नहीं मिला, भूखे चले आ रहे हैं।’

BJP ने सोमवार को कहा है कि रेलवे 85 फीसदी किराया हिस्सा पहले से दे रहा है और 15 फीसदी किराया राज्यों को देना है। बावजूद इसके राज्य और केंद्र के बीच कम्यूनिकेशन समस्या जारी है। गुजरात CM के सचिव ने कहा कि ट्रेन का किराया मजदूरों से लिया जा रहा है। सीएम विजय रूपाणी के सचिव अश्विनी कुमार ने 2 मई को भी कहा था और सोमवार को भी दोहराया कि मजदूरों को खुद से किराया देना होगा। यहां तक कि राज्य सरकार की हर प्रेस रिलीज में भी यह साफ कहा गया है।

इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने 85% किराये का भुगतान करने पर रेलवे से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा कि वह भारतीय रेल से इसमें स्पष्टता चाहते हैं कि वह टिकट का 85% वहन कर रहा है या नहीं क्योंकि अब तक रेलवे से इस बारे में आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं कर्नाटक ने प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वालीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रद्द कर दी है। यह ट्रेन मजदूरों को लेकर उनके गृह जनपद जाने वाली थी, लेकिन मंगलवार को बड़े बिल्डरों के साथ बैठक के बाद सीएम बीएस येदियुरप्पा ने यह फैसला लिया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं भेजी जाएंगी।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूरों की संख्या मिलने के बाद रेलवे उनके यात्रियों के लिए टिकट छापकर स्थानीय प्रशासन को उपलब्ध कराता है। इसके बाद स्थानीय प्रशासन उन्हें टिकट की पूरी रकम सौंप देता है लेकिन इस खेल में मजदूर पिस रहे हैं। क्वारंटीन सेंटरों से ही मजदूरों से किराए से अधिक पैसा वसूला जाता है। इस पर रेल मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक आरडी बाजपेयी ने बताया कि जहां से ट्रेन चलती है वहां से बैठने वाले यात्रियों की सूची के आधार पर रेलवे एडवांस टिकट छापकर दे देता है। स्थानीय प्रशासन टिकटों पर छपे किराए की कुल रकम रेलवे को सौंप देता है।

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