कंगाली में आटा गीला, पाकिस्तान से छिन सकता है GSP का दर्जा

एक तरफ जहां पाकिस्तान कंगाली के करीब आता जा रहा है तो वहीं उसे एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। कश्मीर का राग अलापते-अलापते पाकिस्तान को अब एक और झटका लग सकता है। एक ओर जहां पाकिस्तान अपने ही घर में अलंपसंख्यकों के साथ अत्याचार करता है और बड़ी शान से दूसरे देशों पर ऊंगली उठा देता है। भले ही पाकिस्तान अपने दामन में ना झांकता हो लेकिन, बाकी सभी देश जानते है कि वह अपने मुल्क में क्या कर रहा है। FATF पहले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्च में डाल चुका है। इसी के साथ यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (EICC) ने यूरोपीयन कमिशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को चिट्ठी लिखी और मांग की है कि पाकिस्तान से जनरलाइज्ड सिस्टम प्रीफेंस (जीएसपी) प्लस स्टेट्स वापस लिया जाना चाहिए।

टूट जाएगी पाकिस्तान की कमर

पहले से ही पाकिस्तान मंदी की मार झेल रहा है। अब ऐसे में यदि उसके खिलाफ ये कार्रवाई हो जाती है तो उसके लिए काफी दिक्कत हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसपी के तहत यूरोपीयों देशों में आयात के लिए शुल्क नहीं लगाया जाता है।

ईआईसीसी ने पाकिस्तान कमिश्नर के नाम जो चिट्ठी लिखी उसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों का धार्मिक उत्पीड़न किया जाता है। 12 सितंबर को लिखे पत्र में, EICC ने अल्पसंख्यक समुदायों से लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों पर भी प्रकाश डाला।

जबरन किया जाता है धर्म परिवर्तन
चिट्ठी में लिखा गया कि मैडम कमिश्नर, हम चिंतित हैं कि पाकिस्तानी ईसाइयों, सिखों और हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित नरसंहार में लिप्त है। अल्पसंख्यकों ने पाकिस्तान में ऐतिहासिक और वर्तमान धार्मिक उत्पीड़न और व्यवस्थित हिंसा का अनुभव किया है। वहां जबरन धर्मांतरण किया जाता है। पत्र के अनुसार धार्मिक उत्पीडन नरसंहार, विध्वंस और चर्चों और मंदिरों की तबाही और शिक्षा केंद्रों को ध्वस्त किया गया है।

पाकिस्तानी ईसाई, हिंदू और सिख अदालतों के सामने शक्तिहीन हैं, क्योंकि वहां अपराधियों को मदरसों से झूठी उम्र और शादी के प्रमाण पत्र मिलते हैं, और अदालतें दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं करती हैं। ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक न केवल उग्रवाद के लिए आसान लक्ष्य हैं साथ ही देश में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक बहिष्कार का शिकार भी हैं।

कब उठी जीएसपी का दर्जा वापस लेने की मांग
9 सितंबर को ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद उप-समिति (मानवाधिकार पर अधिकार) (DROI) की एक बैठक के दौरान जीएसपी को पाकिस्तान में वापस लेने की मांग यूरोपीय संसद (MEPs) के सदस्यों द्वारा उठाया गया था।

मनाविधिकार उलंल्घन में लिप्त इन देशों के साथ EU ने किया ऐसा

अतीत में, यूरोपीय संघ ने मानव अधिकारों के उल्लंघन में शामिल देश, जैसे श्रीलंका (अब बहाल) के साथ व्यापार विशेषाधिकार निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने उन उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित किया है जिनका उत्पादन संघर्ष के मामले में मानवाधिकारों से संबंधित है।

ईआईसी ने कहा कि कोई भी देश जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक हिंसा की गतिविधियों में लिप्त हैं उन्हें यूरोपीय संघ से कोई विशेष व्यापार विशेषाधिकार प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही पाकिस्तान को अल्पसंख्यक समुदायों के समान अधिकार सुनिश्चित करने के अपने वादे को तोड़ने के लिए भी लताड़ा।

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